ओडिशा के एक प्रगतिशील मछली पालक श्री बाटा कृष्ण साहू को राष्ट्रपति ने पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया।

सरकाना गांव, बलियांटा ब्लॉक, खोरधा जिला, ओडिशा के श्री साहू ने अस्सी के दशक के अंत में एक ग्रो-आउट कल्चर किसान के रूप में जलीय कृषि में कदम रखा। उन्होंने भाकृअनुप-सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ फ्रेशवाटर एक्वाकल्चर, भुवनेश्वर, ओडिशा और कृषि विज्ञान केंद्र, खोरधा, ओडिशा के द्वारा तकनीकी मार्गदर्शन प्राप्त कर मछली प्रजनन और बीज उत्पादन में अपने उद्यम का विस्तार किया।

वर्तमान में, वह लगभग 10 एकड़ क्षेत्र में जलीय कृषि कार्य कर रहे हैं। श्री साहू एक नवोन्मेषी एक्वा-किसान हैं जो जलीय कृषि में नई विधियों का प्रयोग कर रहे हैं और अपना रहे हैं। भाकृअनुप-सीफा में विकसित कई प्रकार के परीक्षण भी श्री बाटा के फार्म में किया गया था। उन्होंने कार्प ब्रीडिंग, बीज उत्पादन, ब्रूड पालन और ग्रो-आउट कल्चर के लिए वैज्ञानिक तकनीक को अपनाया। वह इंस्टीट्यूट फॉर कार्प्स द्वारा विकसित एक विशेष प्रकार की “ब्रूडस्टॉक फीड,
भाकृअनुप-सीआईएफएब्रूड(टीएम)” का उपयोग करके ओडिशा में प्रारंभिक प्रजनन प्राप्त करने वाले अग्रणी किसानों में से एक हैं।

उनकी उद्यमशीलता की उत्साह को स्वीकार करते हुए, संस्थान ने किसान-से-किसान तकनीकों के प्रसार की सुविधा के लिए 2009 में उनके खेत में एक एक्वाकल्चर फील्ड स्कूल (एएफएस) की स्थापना की। इससे उन्होंने ओडिशा और विभिन्न राज्यों में हजारों एक्वा-किसानों को अपने एक्वा-कृषि के अनुभव से प्रशिक्षित एवं साझा करने का एक मंच दिया है।

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