खेती-किसानी करके दिव्यांग पिता का सहारा बनी ग्रेजुएट लड़की, केले के बाग से कर रही है अच्छी कमाई

आजकल धान और गेहूं जैसी पारंपरिक फसलों में मुनाफा रहा नहीं. इसलिए उन्नाव की बेटी ने केले की खेती शुरू की. इससे अच्छी कमाई हुई और वो अब उस पैसे से दिव्यांग पिता का सहारा बन गई है.
केले की खेती करके पिता का सहारा बनी बेटी.
एक डिग्री धारक 25 वर्षीय बेटी ने दिव्यांग वृद्ध पिता को असहाय देख परिवार की जिम्मेदारियों का बोझ अपने कंधों पर उठा लिया. वो खेती से घर संभाल रही है. उन्नाव जिले के बीघापुर ब्लॉक की ग्राम सभा सगवर के बेलहरा गांव की आरती ने पिता की एक बीघा पांच बिस्वा भूमि पर जी-नाइन गांठ वाले केला की खेती कर मिसाल कायम की है. आरती से प्रेरणा लेकर गांव के एक दर्जन अन्य किसान भी केले की खेती कर बेहतर कमाई कर रहे हैं. इसकी खेती से अच्छी कमाई कर वो घर चला रही है.
आरती ने बताया कि उसने स्नातक, बीटीसी, टेट, सीटेट उत्तीर्ण कर रखा है. दिव्यांग पिता कमल किशोर यादव ने 14 साल तक परिश्रम कर खेती की. पारिवारिक स्थितियां बेहतर न होने में बड़े भाई शिव शंकर व विपिन को विदेश नौकरी करने जाना पड़ा. पैरों से लाचार पिता का कोई सहयोगी नहीं रह गया, तब उसने कंधे से कंधा मिलाकर केले की खेती में हाथ बंटाना शुरू कर दिया. आरती अपनी मेहनत से गांव की महिलाओं के लिए भी प्रेरणा बन रही है.
कितने महीने में तैयार होती है केले की खेती
आरती के पिता का कहना है कि 15 साल पहले उन्होंने गांव में केले की खेती की शुरुआत की थी. केले की खेती में रंगत आई और बेहतर मुनाफा होने लगा. लेकिन, अब बदले हालात में आरती खेती कर रही है. उसकी मेहनत और लगन से पिता का मान पूरे गांव में बढ़ गया है. उन्होंने बताया कि जी-नाइन केला की गांठ हुसेनगंज से जून-जुलाई में लाकर खेतों में रोपित की जाती है. चौदह माह में केले की फसल तैयार कर एक से दो सौ तीस रुपये की दर से प्रति घार (घांवर) की बिक्री की जाती है.
खरीदारी को कई जिले के व्यापारी आते हैं बेलहरा
बेलहरा गांव में केला की फसल तैयार होते ही खरीदारी के लिए गैर जनपदों के व्यापारियों का आना जाना शुरू हो जाता है. केला की खरीदारी करने के लिए ज्यादातर उन्नाव मंडी, लखनऊ, कानपुर, फतेहपुर व रायबरेली आदि जिलों के व्यापारी आते हैं. आरती ने बताया कि उनकी केला की खेती से प्रभावित होकर गांव के एक दर्जन से अधिक किसानों ने भी खेती करनी शुरू कर दी है.
अब बागवानी फसलों पर है सरकार का जोर
सरकार अब धान और गेहूं जैसी पारंपरिक फसलों की बजाय किसानों से बागवानी फसलों की ओर फोकस करने की अपील कर रही है. इसके लिए वो मदद भी दे रही है. बागवानी फसलों जैसे फल और सब्जियों में धान और गेहूं के मुकाबले कहीं अधिक कमाई होती है. अगर अच्छी किस्म की बुवाई करें और सही मौसम हो तो केले की खेती से एक एकड़ में 5 लाख रुपये तक का मुनाफा कमाया जा सकता है.