
ग्वालियर, माधव प्रौद्योगिकी एवं विज्ञान संस्थान (एमआइटीएस) परिसर में शनिवार को ड्रोन मेला आयोजित हुआ। इसमें 20 कंपनियों ने ड्रोन की प्रदर्शनी लगाई और उत्पादों का प्रदर्शन किया। इसके अलावा नगर निगम, पुलिस सहित अन्य शासकीय विभागों ने भी प्रदर्शनी लगाई। इनमें 20 हजार से लेकर एक करोड़ कीमत तक के ड्रोन प्रदर्शित किए गए। मेले में कृषि, रक्षा, शिक्षा, शोध व स्वास्थ्य के क्षेत्र में ड्रोन का उपयाेग कितना कारगर हो सकता है, यह भी कंपनियों द्वारा बताया गया।
कार्यक्रम की अंतिम कड़ी में ड्रोन उड़ाकर कीटनाशक के छिड़काव का डेमो दिखाने पानी की फुहारें ड्रोन से छोड़ी गईं। साथ ही खेतों में बीज कैसे रोपे जा सकते हैं, दवा की डिलीवरी कैसे की जा सकती है, यह भी बताया गया। हजारों स्कूली विद्यार्थी ड्रोन मेले में शामिल होने आए थे। उनके ऊपर से जब ड्रोन करतब दिखाते हुए गुजरा तो विद्यार्थियों का उत्साह देखते ही बन रहा था।
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इन क्षेत्राें में ड्राेन कारगरः
कृषि: खेतों में उर्वरक तथा कीटनाशक दवाओं का छिड़काव करने में ड्रोन उपयोगी है। इससे किसान हानिकारक रसायनों के दुष्प्रभाव से बच सकते हैं। यह तकनीक कम खर्चीली है। ड्रोन तकनीक से 25 प्रतिशत तक खाद की बचत होती है।
स्वास्थ्य: दवाओं, आपातकालीन इंजेक्शन आदि की डिलीवरी। दुर्गम, सुदूर व पहाड़ी क्षेत्रों में जल्द दवाएं पहुंचाई जा सकती हैं। वैक्सीन भी पहुंचाई जा सकती है। कोरोना से बचाव के लिए सैनिटाइजेशन किया जा सकता है।
सीमा सुरक्षा: बिना किसी व्यक्ति के सीमाओं की निगरानी व सुरक्षा की जा सकती है। दुश्मन की मूवमेंट पर नजर रख सकते हैं। पहाड़ी क्षेत्र में छुपे दुश्मन की गोली से बचते हुए उसका पता लगाया जा सकता है।
आपदा प्रबंधन: बाढ़, भूकंप आदि प्राकृतिक आपदा के समय ड्रोनों से रेस्क्यू अभियान चलाया जा सकता है। इससे खाना वितरण तक हो सकता है।
पुलिस व ट्रैफिक: महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों की सुरक्षा, विध्वंसकारी एवं आतंकवादी गतिविधियों पर रोकथाम, ट्रैफिक मैनेजमेंटस व्हीआइपी सुरक्षा, अपराधी एवं वाहन का पीछा कर पकड़ना। ऊंची इमारतों पर सीधी निगाह रखी जा सकती है।
अग्निशमन: आग लगने की स्थिति में फायर वॉल (आग बुझाने वाली वाल) को आग के बीच फेंका जा सकता है। आग कहां लगी है, यह ड्रोन के जरिए सटीक पता लगाया जा सकता है।
स्वामित्व योजना: मुख्यमंत्री ने बताया कि प्रदेश में संचालित स्वामित्व योजना में भी ड्रोन तकनीक अहम भूमिका निभा रही है। इस योजना ने हरदा जिले में शत-प्रतिशत ग्रामीण लोगों को स्वामित्व का अधिकार दिलाया गया है। प्रदेश में वर्तमान में 35 ड्रोन स्वामित्व योजना के तहत काम कर रहे हैं। इससे जमीन का मापन आदि सुनिश्चित हो जाता है।