फ्लाइंग फार्मर’ – ड्रोन , किसानो का काम करेगा ,खाद और कीटनाशक का छिड़काव होगा आसान

Manish  bafana

मेक इन इंडिया’ अभियान का लक्ष्य अब कृषि क्षेत्र की मदद करना और प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा लॉन्च किए जाने वाले 1000 ड्रोन का निर्माण करना है। ड्रोन का निर्माण गरुड़ एयरोस्पेस द्वारा किया जाएगा, जो ‘मेक इन इंडिया’ अभियान के तहत एक स्टार्टअप है,

ड्रोन किसानों को कृषि उत्पादकता और लाभप्रदता दोनों को अनुकूलित करने में मदद करेंगे। स्टार्टअप का उद्देश्य किसानों को समय, पानी, संसाधन बचाने  आगे बढ़ने में मदद करना है। आज तक आपने ड्रोन के जरिये हथियार और नशीले पदार्थ भेजने की खबर ही सुनी होगी, लेकिन अब इसका मंजर पूरा पलट गया है. जी हाँ, लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी (LPU) के कृषि विशेषज्ञों ने 40 विद्यार्थियों के साथ मिलकर एक ऐसा बहुउद्देश्यीय ड्रोन तैयार किया है जो किसानों के लिए बहुत मददगार साबित होगा.

दरअसल, जालंधर से करीब 22 किलोमीटर दूर कपूरथला जिले के फगवाड़ा में खेतों के ऊपर उड़ते ड्रोन देखकर एक बार लोग भले ही चौंक जाते हों, लेकिन किसान इसे बड़ी उम्मीद से देख रहे हैं. कई महीनों की मशक्कत के बाद तैयार किए गए इस ड्रोन का नाम ‘फ्लाइंग फार्मर’ रखा गया है.

ड्रोन बनाने में  मेक इन इंडिया’  के तहत गरुड़ एयरोस्पेस ड्रोन  1000बनाने  जारही है। ” राम कुमार, उपाध्यक्ष, गरुड़ एयरोस्पेस ने कहा।

“हमारे संस्थापक ने प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की, उन्हें अगले महीने 1000 ड्रोन बनाने की हमारी योजना के साथ प्रस्तुत किया। वह (पीएम) इस कार्यक्रम को शुरू करने के लिए सहमत हुए … ड्रोन की मदद से, हम समय, पानी बचा पाएंगे , संसाधन और पिछले मैनुअल छिड़काव प्राप्त करें,

, “ड्रोन के माध्यम से छिड़काव के कई फायदे हैं, पहले एक एकड़ को कवर करने के लिए मैन्युअल रूप से छिड़काव करने में तीन से चार घंटे लगते हैं, लेकिन ड्रोन का उपयोग करके यह 10 मिनट की तरह होता है। यह पानी, प्रति एकड़ इस्तेमाल होने वाले कीटनाशकों को कम करता है।

ड्रोन के उपयोग से किसान फसलों की समय पर कीटों से सुरक्षा सुनिश्चित कर सकेंगे, फसल में रोगो  की पहचान के लिए समय बचा सकेंगे, कृषि उत्पादन में कुल लागत को कम कर सकेंगे और उच्च उपज और गुणवत्ता वाली फसलों को सुरक्षित कर सकेंगे।

बैटरी संचालित ड्रोन फुल चार्ज होने पर 25 मिनट तक उड़ सकता है। ड्रोन की कीमत लगभग 10 हजार से 15 हजार के बीच होगी.

इसकी मदद से किसान फसल पर बेहतर ढंग से छिड़काव कर सकते हैं.

फ्लाइंग फार्मर हवा में उड़कर खेतों में बाढ़ आने या आंधी से नुकसान की सही जानकारी किसान को देगा.

साथ ही फसल में कहां कितना पानी लग गया है, इसकी लाइव तस्वीरें देखकर किसान उसी हिसाब से सिंचाई कर सकते हैं.

ड्रोन को आधिकारिक तौर पर “मानव रहित विमान साइटम्स (यूएएस)” के रूप में जाना जाता है और परिवहन, कृषि, रक्षा, कानून प्रवर्तन, निगरानी और कई के बीच आपातकालीन प्रतिक्रिया सहित विभिन्न क्षेत्रों में बेहद उपयोगी हैं।

भारत के नए ड्रोन नियमों के तहत, जो अगस्त 2021 में लागू हुआ, आपको हवा में छोटे ड्रोन को संचालित करने और उड़ाने के लिए सुरक्षा मंजूरी की आवश्यकता नहीं है। कार्गो डिलीवरी की सुविधा के लिए सरकार ड्रोन कॉरिडोर भी बना रही है।

ड्रोन के नए नियमों के मुताबिक सरकार ने ड्रोन के पेलोड को 300 किलोग्राम से बढ़ाकर 500 किलोग्राम कर दिया है. भारत में ड्रोन उड़ाने के लिए अनुसंधान और विकास संस्थाओं को एक प्रकार के प्रमाण पत्र, एक विशिष्ट पहचान संख्या, पूर्व अनुमति या रिमोट पायलट लाइसेंस की आवश्यकता नहीं है

कृषि में आधुनिक तकनीक के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए  मध्य  प्रदेश की  शिवराज  सरकार एक और बड़ा कदम उठाने जा रही है। इसमें किसानों को फसल में खाद और कीटनाशक का छिड़काव करने के लिए ड्रोन किराए पर उपलब्ध कराए जाएंगे। इसके लिए कृषि अभियांत्रिकी संचालनालय ने केंद्र सरकार को प्रस्ताव भी भेज दिया है। अनुमति मिलते ही कस्टम हायरिंग सेंटर संचालित करने वालों को ड्रोन खरीदने के लिए योजना के प्रविधान के अनुसार अनुदान भी उपलब्ध कराया जाएगा।

कृषि मंत्री कमल पटेल ने बताया कि हाल ही में जबलपुर में ड्रोन द्वारा नैनो यूरिया के छिड़काव का प्रदर्शन देखा है। यह किसानों के हित की तकनीक है। संचालक कृषि अभियांत्रिकी राजीव चौधरी ने बताया कि कृषि यंत्रीकरण के सबमिशन के तहत हाइटेक हब की स्थापना के कार्यक्रम में नए यंत्रों को प्रोत्साहित किया जाना है।देश में तीन हजार से ज्यादा कस्टम हायरिंग सेंटर संचालित हैं। इनके माध्यम से किसानों को ड्रोन की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। एक कस्टम हायरिंग सेंटर में तीन से पांच ड्रोन की यूनिट बनाई जाएगी।

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