
harit malav -चालू वित्त वर्ष में उर्वरक सब्सिडी पर केंद्र सरकार का बोझ और बढ़ सकता है क्योंकि रूस और यूक्रेन में युद्घ छिडऩे के कारण जिंसों के दाम ऊंचे बने हुए हैं। वित्त वर्ष 2022 में उर्वरक सब्सिडी बिल 79,530 करोड़ रुपये रहने का अनुमान लगाया गया था जिसे संशोधित कर 1.4 लाख करोड़ रुपये कर दिया गा था। हालांकि इसमें 10,000 से 15,000 करोड़ रुपये का और इजाफा हो सकता है।
एक शीर्ष अधिकारी ने कहा, ‘इस साल हमारा उर्वरक सब्सिडी का बोझ बढ़ेगा। हम इसमें 10,000 से 15,000 करोड़ रुपये या इससे अधिक बढऩे का अनुमान लगा रहे हैं।’ वित्त र्वा 2022 के संशोधित अनुमान उतने पर ही बना रहेगा और करीब 15,000 करोड़ रुपये अतिरिक्त उर्वरक सब्सिडी होने से राजकोषीय घाटे पर ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ेगा क्योंकि संशोधित अनुमान सकल घरेलू उत्पादक का करीब 6.9 फीसदी ही रहेगा। चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटे को लेकर सबसे बड़ा मसला यह है कि सरकार 31 मार्च से पहले भारतीय जीवन बीमा निगम का आईपीओ लाती है या नहीं।
खबरों के मुताबिक अगले वित्त वर्ष में भी उर्वरक सब्सिडी बजट अनुमान से अधिक रह सकता है क्योंकि जिंसों के दाम काफी बढ़ गए हैं। हालांकि नीति निर्माता अभी संशोधित आंकड़ा जारी करने के इच्छुक नहीं हैं। वित्त वर्ष 2023 में उर्वरक सब्सिडी का बोझ 1.05 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान लगायया गया है।
वित्त वर्ष 2023 के बजट अनुमान में उर्वरक सब्सिडी को कम करके आंका गया है जबकि यूरिया के दाम में लगातार तेजी देखी जा रही है और कच्चा तेल एवं गैस के दाम में वृद्घि से अन्य कच्चे माल जैसे कि फॉस्फेट और अमोनिया के दामों पर भी दबाव देखा जा सकता है। अधिकारियों ने पहले बताया था कि उर्वरक सब्सिडी के लिए 1.50 लाख करोड़ रुपये की जरूरत हो सकती है।
यूक्रेन भी भारत की कुल जरूरत का करीब 10 फीसदी उर्वरक की आपूर्ति करता है। लेकिन युद्घ की वजह से वहां से आपूर्ति प्रभावित हुई है।