मध्यप्रदेश में एग्रीकल्चर काउंसलिंग का गठन होना चाहिए ,कृषि छात्रों ने कहा

इंदौर -पूर्व कृषि एवं वर्तमान कृषि छात्रों ने अपने राष्ट्रीय अधिवेशन में बताया कि कृषि संगठन मध्यप्रदेश में कृषि परिषद बनाने की बात शासन से करेगा जिससे प्रदेश में उच्च गुणवत्ता की शिक्षा और उसकी निगरानी एक काउंसिल कर सके। कृषि विश्वविद्यालय में भी गुणात्मक सुधार करने की आवश्यकता को पूरा करने के लिए संगठन ने अपने विचार व्यक्त किए
विशेषज्ञों ने कहा की   छात्र महाविद्यालयों और संस्थानों में कृषि पर अनुसंधान कर रहे हैं वह पूरी तरह किसानों और खेतों तक नहीं पहुंच पा रहा है। खेती और कृषि स्नातकों के बीच बड़ा अंतर है। इस अंतर को भरने की जरूरत है। अब खेती केवल यह नहीं है कि बो दिया और काट लिया। हमें खेती से बेहतर आय कमाना है तो बेहतर तकनीक का इस्तेमाल करके ऐसी फसलों को उगाना चाहिए जिनकी देश-दुनिया में मांग हो। हमें परंपरागत खेती के अलावा उद्यानिकी और औषधीय खेती को अपनाना होगा।

कृषि छात्रों और पूर्व छात्रों की संस्था एग्री अंकुरण वेलफेयर एसोसिएशन (आवा) के  अधिवेशन में यह निर्णय लिया गया कि मध्यप्रदेश में राज्य कृषि परिषद का गठन कराया जाए। साथ ही कृषि के नवाचारों को किसानों तक पहुंचाना है। अधिवेशन के दौरान एसोसिएशन की राष्ट्रीय कार्यकारिणी समिति का गठन भी किया गया। इसमें डा. जोशी, शासकीय कृषि महाविद्यालय के डीन डा. अशोक कुमार शर्मा और रवींद्र राठी संरक्षक मनोनीत किए गए। आवा के राष्ट्रीय अध्यक्ष राधे जाट, महासचिव जगदीश कुर्मी, मुख्य समन्वयक गोपी आंजना, वरिष्ठ उपाध्यक्ष संजय खेरवा और उपाध्यक्ष अमित राणे, नरेंद्र पाटीदार, दिलीप राजपूत, निक्की भारद्वाज, बादल वर्मा, नीरज राठौर, पवित्रा एस, सुरभि शर्मा व राजेंद्र पटेल नियुक्त किए गए। मुकेश जाट कोषाध्यक्ष और राजेश सोनी सह कोषाध्यक्ष बनाए गए। राष्ट्रीय प्रवक्ता रणजीत रघुनाथ और रोहित कुमावत को बनाया गया।

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