
भोपाल ।कृषि कानूनों के तहत मंडियों को बंद किए जाने के आरोपों के बीच मध्य प्रदेश में किसानों को उपज का उचित मूल्य दिलाने के लिए शिवराज सरकार नया प्रयोग करने जा रही है। इसके तहत मंडियों में उपज की नीलामी कीव्यवस्था किस्मों के आधार पर होगी। किसान बासमती धान, शरबती गेहूं, डालर चना लेकर आता है, तो उसे मंडियों में अलग रखा जाएगा। व्यापारी वहीं जाकर बोली लगाएंगे। इसका रिकॉर्ड भी अलग रखा जाएगा। यही व्यवस्थाजैविक उत्पाद के लिए भी रहेगी। इससे जैविक उत्पाद प्रमाणित हो जाएगा। साथ ही व्यापारी को मंडी समिति से जो पर्ची मिलेगी, उसमें उपज के संबंध में संपूर्ण जानकारी रहेगी। इससे उपभोक्ता के साथ उत्पाद को लेकर कोई धोखाधड़ीनहीं होगी।
प्रदेश में खेती को लाभ का धंधा बनाने और किसानों की आय बढ़ाने के लिए सरकार लगातार कदम उठा रही है। इसके मद्देनजर मंडी व्यवस्था को और बेहतर बनाया जाएगा। कृषि विभाग ने तय किया है कि किसानों को उपज का उचितमूल्य दिलाने के लिए मंडियों में उच्च गुणवत्ता वाली उपज की बिक्री की अलग व्यवस्था बनाई जाएगी। इसके तहत जब किसान मंड़ियों में आएगा तो उससे पूछा जाएगा कि वह कौन सी फसल लेकर आया है।
बासमती धान, शरबती गेहूं या डालर चना लेकर आने वाले किसानों को अलग शेड में भेजा जाएगा, जहां सिर्फ उच्च गुणवत्ता वाली उपज की नीलामी होगी। इसका रिकॉर्ड भी किसान के नाम से अलग रखा जाएगा। वहीं, व्यापारियों कोभी आसानी होगी। उन्हें उच्च गुणवत्ता वाली उपज छांटने के लिए मशक्कत नहीं करनी पड़ेगी। जैविक उत्पाद पैदा करने वाले किसानों को इसका प्रमाणपत्र मिलेगा।
खरीदार को भी इसके दस्तावेज मिलेंगे, जिससे वो यह दावा कर सकेंगे कि उनके द्वारा दिए जा रहे उत्पाद प्रमाणित हैं। अपर मुख्य सचिव कृषि अजीत केसरी का कहना है कि नई व्यवस्था को जबलपुर और सागर में पायलट प्रोजेक्ट केतौर पर लागू किया जा रहा है। इसके परिणाम देखकर पूरे प्रदेश में यह व्यवस्था लागू करने संबंधी निर्णय लिया जाएगा।