400 रुपए बोरी पहुंच सकता है सीमेंट का भाव, जानिए रिकॉर्ड तेजी का कारण और कब मिलेगी राहत

Cement Price: आम आदमी को महंगाई का एक और बड़ा झटका लगने जा रहा है। यह खबर उन लोगों के लिए जो खुद का घर बनाने की तैयारी कर रहे हैं। आशंका जताई है कि आने वाले दिनों में सीमेंट का भाव 400 रुपए प्रति बोरी तक पहुंच सकता है। यानी सीमेंट की कीमतें (Cement Price) रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच सकती है। बता दें, अगस्त से अब तक पूरे देश में सीमेंट का भाव 10 से 15 रुपए बोली बढ़ गया है। अब आने वाले दिनों में ये दाम 15 से 20 रुपए बोरी और बढ़ सकते हैं। इसके साथ ही अधिकांश कंपनियों की सीमेंट 400 रुपए प्रति बैग बिकेगी। इसका सीधा असर रियल एस्टेट पर पड़ेगा। कोरोना काल के बाद से यह सेक्टर संघर्ष कर रहा है। दिवाली के बाद तेजी आई थी, लेकिन सीमेंट और सरिया के दाम फिर खेल बिगाड़ सकते हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार, यह पेट्रोल-डीजल और कोयले के दामों का असर है। हालांकि यह भी कहा जा रहा है कि यदि डिमांड बढ़ती है तो भाव में कुछ राहत मिल सकती है।

मांग बढ़ने की उम्मीद, लेकिन फिर भी नहीं घटेंगे दाम

क्रिसिल की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, सीमेंट निर्माताओं की आय में इस वित्त वर्ष में 100-150 रुपये प्रति टन की गिरावट आएगी क्योंकि लागत बढ़ गई है। सीमेंट की बिक्री इस वित्त वर्ष में सालाना आधार पर 11-13% बढ़ने की उम्मीद है, लेकिन मांग में यह बढ़ोत्तरी नाकाफी है। भारत में 75% की वॉल्यूम मार्केट शेयर वाली 17 सीमेंट कंपनियों के अध्ययन के बाद यह रिपोर्ट तैयार की गई है।

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सोयाबीन की अधिक दरों से पोल्ट्री उद्योग में निराशा
नई दिल्ली
 
 
 
 

सोयाबीन की अच्छी पैदावार के बावजूद पिछले कुछ महीनों से दोबारा से इसकी कीमत में उबाल नजर आ रहा है जिससे किसानों को तो लाभ हो रहा है लेकिन पोल्ट्री और तिलहन निष्कर्षण क्षेत्र के एक हिस्से को नुकसान हो रहा है।

कारोबार से जुड़े सूत्रों ने कहा कि क्या 31 जनवरी के बाद आनुवांशिक रूप से संशोधित (जीएम) सोयाबीन खली  के आयात की अनुमति मिलेगी या नहीं पर अस्पष्टता के कारण कीमतों में इजाफा हो रहा है। बेहतर कीमतों के अनुमान में उत्पादकों द्वारा स्टॉक जमा करने और बाजार में संदिग्ध गतिविधि की भी कुछ घटनाएं हो रही हैं। कृषि बाजार से मिले आंकड़ों के मुताबिक अक्टूबर और नवंबर के अंत के बीच इंदौर के बाजारों में मॉडल सोयाबीन की दरें 77 फीसदी चढ़कर 3,500 रुपये से बढ़कर करीब 6,200 रुपये प्रति क्विंटल पर पहुंच गई। नवंबर के अंत से कुछ बाजारों में कीमतें और बढ़कर करीब 6,700 रुपये प्रति क्विंटल पर पहुंच गई। 2021-22 के लिए पीले सोयाबीन के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 3,950 रुपये प्रति क्विंटल तय की गई थी।

कृषि मंत्रालय की ओर से 2021-22 में खरीफ फसल उत्पादन को लेकर जारी किए गए पहले अग्रिम अनुमान के मुताबिक सोयाबीन का उत्पादन 1.272 करोड़ टन रहने की उम्मीद है जो पिछले वर्ष के 1.289 करोड़ टन से मामूली कम है। उद्योग के एक वरिष्ठ पर्यवेक्षक ने कहा, ‘सोयाबीन में तेल की मात्रा करीब 18 फीसदी होती है और बाकी हिस्सा सोयाखली होता है। लिहाजा सोयाखली की उच्च दरों से बाजार को दिशा मिल रही है।’ केंद्र सरकार ने अगस्त में पहली बार 12 लाख टन जीएम सोयाखली के आयात की अनुमति दी थी। सरकार ने यह कदम घरेलू कीमत में आए उबाल को शांत करने और पोल्ट्री उद्योग को संरक्षण देने के लिए उठाया था। उच्च कीमतों से इस उद्योग पर असर हो रहा था। आयात की मियाद 31 जनवरी, 2022 तक के लिए तय की गई थी।

मक्के के साथ सोयाखली पशु और पोल्ट्री के लिए चारे का अहम हिस्सा है। हालांक, पोल्ट्री उद्योग आयात की मियाद को अगले वर्ष मार्च बढ़ाने का दबाव बना रहा है क्योंकि कीमत अभी भी ऊंची हैं। मियाद बढ़ाने की मांग की दो प्रमुख वजह यह है कि 12 लाख टन आयात की जरूरत थी लेकिन देश में करीब 6 लाख टन ही पहुंचा है और आहार खली की दरें अभी भी ऊंची हैं।  हालांकि, सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसओपीए) ने एक हालिया प्रस्तुति में कहा कि सोयखली की मांग-आपूर्ति की अनुमानित स्थिति बेहतर स्तर पर है और बुनियादी तौर पर आयातों की आवश्यकता नजर नहीं आती।

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