
MSP का केवल सिर्फ 6 फीसदी किसानों को मिलता है लाभ, कानून बनने से सरकार केसे लेगी पूरा अनाज ???
HARIT MALAV TEAM -कोई सरकार देश में MSP पर कानून बना देती है. कानून बनने के बाद तो इसका सीधा मतलब होगा राइट टू MSP.यानि किसानों के पास ऐसा अधिकार हो जाएगा कि कि अगर उन्हें एमएसपी पर फसल की कीमत नहीं मिलती है तो वे कोर्ट जा सकते हैं और सजा दिला सकते हैं. इसी तरह MSP पर कानून बनने के बाद यदि देश में कभी अनाज यानी गेहूं, चावल या कोई भी उपज बहुत ज्यादा हो जाता है और बाजार में कीमतें गिर जाती हैं तो फसल खरीदने वाले ढूंढने से भी नहीं मिलेंगे. व्यापारी या कंपनियां कानून के डर से कम कीमत में फसल खरीदेंगी ही नहीं ऐसे में अनाज किसानों के पास ही रखा ही सड़ जाएगा.
अभी केंद्र सरकार की सालाना कमाई 16.5 लाख करोड़ रुपए है. अगर उसे सभी 23 फसलों की खरीद एमएसपी पर करनी पड़े तो सरकार को इसके लिए 17 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च करने पड़े सकते हैं. इसके अलावा अगर सरकार एमएसपी को अनिवार्य कानून बना देगी तो वो तो सभी फसलों पर लागू होगी. क्योंकि दूसरी फसलों के किसान भी तो इसकी मांग करेंगे. अगर ऐसा हुआ तो अभी के कुल बजट का लगभग 85 फीसदी हिस्सा सरकार एमएसपी पर ही खर्च कर देगी.
सिर्फ 6 फीसदी किसानों को मिलता है लाभ
देश में 85 फीसदी छोटे किसान हैं, जिसका मतलब ये है कि वो खरीदार भी हैं, क्योंकि वो उतना अनाज नहीं उपजा पाते जिससे उनका खर्च चल सके. लेकिन ज्यादा MSP के कारण बाजार भाव बढ़ेगा, तो बतौर उपभोक्ता छोटे किसानों और कृषक मजदूरों पर भी इसका असर पड़ेगा. हो सकता है कि उनके भूखे मरने की नौबत आ जाए. देश के सिर्फ 6 फीसदी किसानों को ही MSP का फायदा मिलता है और उनमें भी करीब 80 फीसदी पंजाब और हरियाणा के किसान हैं. देश में अनाज के स्टोरेज का भी संकट अलग से है.