
वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन यानी WTO की बैठक जेनेवा में हुई। इस सम्मेलन में अमेरिका और यूरोपीय देशों ने भारतीय किसानों को दी जाने वाली एग्रीकल्चरल सब्सिडी का विरोध किया। PM नरेंद्र मोदी किसानों को सालाना जो 6 हजार रुपए देते हैं, यह भी एग्रीकल्चरल सब्सिडी में शामिल है। ऐसे में इसे रोकने के लिए अमेरिका और यूरोप ने पूरी ताकत झोंक दी है। भारत ने भी इस मुद्दे पर ताकतवर देशों के आगे झुकने से इनकार कर दिया है।
जेनेवा में शुरू होने वाले WTO की बैठक से पहले 28 अमेरिकी सांसदों ने राष्ट्रपति जो बाइडन को पत्र लिखकर भारत के खिलाफ WTO में मुकदमा करने की मांग की थी। इन सांसदों ने भारत सरकार पर किसानों को तय नियम से ज्यादा सब्सिडी देने का आरोप लगाया था।
अमेरिकी सांसदों ने अपने पत्र में लिखा था कि भारत सरकार WTO के तय नियम के मुताबिक अनाजों को उत्पादन मूल्य पर 10% से ज्यादा सब्सिडी दे रही है। इससे वैश्विक बाजार में कम कीमत पर भारत का अनाज आसानी से उप्लब्ध हो जा रहा है। ये अमेरिकी किसानों के हित में नहीं है।
यही वजह है कि अमेरिकी सांसदों ने भारत के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की मांग राष्ट्रपति जो बाइडन से की है। भारत ने ताकतवर देशों के दबाव के बावजूद एग्रीकल्चरल सब्सिडी को खत्म करने से इनकार कर दिया है। अब इस मामले में भारत को WTO के 80 देशों का साथ मिला है।
अमेरिका जैसे ताकतवर देशों का मानना है कि सब्सिडी की वजह से भारतीय किसान चावल और गेहूं का भरपूर उत्पादन करते हैं। इसकी वजह से भारत का अनाज दुनिया भर के बाजार में कम कीमत में मिल जाता है।
अमेरिका और यूरोपीय देशों के अनाज की कीमत ज्यादा होने की वजह से विकासशील देशों में इसकी बिक्री कम होती है। यही वजह है कि दुनिया के अनाज बाजार में दबदबा कायम करने के लिए ताकतवर देश भारत को एग्रीकल्चरल सब्सिडी देने से रोकना चाहते हैं। भारत इसे मानने के लिए तैयार नहीं है।
सबसे ज्यादा सब्सिडी पाने वाले पंजाब के किसान सबसे ज्यादा संपन्न
भारत के किसानों को सरकारी मदद या सब्सिडी की कितनी जरूरत है, इसे पंजाब के उदाहरण से समझ सकते हैं। सरकारी रिपोर्ट के मुताबिक एक औसत भारतीय किसान परिवार की सालाना आय 77,124 रुपए है। जबकि पंजाब के किसान परिवार की औसत सालाना आय 2,16,708 रुपए है। पंजाब के किसानों की मजबूत आर्थिक स्थिति इस बात का प्रतीक है कि सरकारी मदद कितनी मददगार हो सकती है।
यही वजह है कि भारत सरकार देश के किसानों को बीज से लेकर पानी और बिजली तक पर सब्सिडी देती है। खेती में बढ़ती लागत को देखते हुए किसानों की आय बढ़ाने के लिए मिनिमम सपोर्ट प्राइस यानी MSP और बिजली, उर्वरक पर मिलने वाली सब्सिडी ही एक तरीका नजर आता है।
अमेरिकी किसानों की सालाना आय भारतीय किसानों से 52 गुना ज्यादा है।
WTO में भले ही अमेरिका और दूसरे ताकतवर देश विकासशील देशों के किसानों को सब्सिडी देने से मना करते हों, लेकिन खुद अमेरिका अपने देश के समृद्ध किसानों को सब्सिडी देने में दूसरे देशों से कहीं आगे है। वो भी तब, जब अमेरिकी किसानों की सालाना आय भारतीय किसानों से 52 गुना ज्यादा है।