
सोयाबीन फसल में क्या नहीं करें ?
डॉ. बी. यू. दुपारे, डॉ सविता कोल्हे, डॉ. राघवेन्द्र मदार, एवं वी. नटराज
भा.कृ.अनु.प.-भारतीय सोयाबीन अनुसन्धान संस्थान, खंडवा रोड, इंदौर
“कई बार ऐसे हो जाता हैं जब हमें अपनी गलतियों के बारे में एहसास होता हैं जिससे हमारा
नुकसान हो जाता हैं. जबकि उन गलतियों को समय रहते टाला जा सकता था. ” लेकिन तब तक
बहुत देर जो जाती हैं एवं बदली हुयी परिस्थितियों में हमारे पास सिमित विकल्प होते हैं.
सोयाबीन की खेती में भी यही बात परिलक्षित हो रही हैं. कई बार जानकारी के आभाव में
हमारे कृषकगण कुछ ऐसी पद्धतियों को अपनाते हैं जिनका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं होता.
प्रस्तुत लेख में ऐसे ही कुछ 30 बिन्दुओं पर सोयाबीन कृषकों का ध्यान आकर्षित किया जा रहा
हैं जिनसे दूर रहकर सोयाबीन की टिकाऊ खेती में शुन्य से लेकर न्यूनतम व्यय से अधिक लाभ
पा सकते हैं.
1. अधिक पानी वाली भरने वाली भूमि या हल्की व उथली भूमि में सोयाबीन की खेती नहीं
करें.
2. आवश्यकता से अधिक बार जुताई नहीं करें.
3. बीज का अंकुरण एवं बीजांकुर सुनिश्चित करने के लिए जब तक न्यूनतम 10 सेमी वर्षा
नहीं हुयी हों, बोवनी नहीं करे.
4. बीज एवं उर्वरकों को मिलाकर सोयाबीन की बोवनी कदापि नहीं करें.
5. फसल बोवनी के पूर्व सूखी जमीन में कोई भी रसायन/उर्वरक नहीं डालें.
6. सोयाबीन की बोवनी किसी भी स्थिति में 5 सेमी से अधिक गहराई पर नहीं करें
7. ऐसी किस्मों की खेती नहीं करें जो स्थानीय जलवायु के अनुकूल, अनुशंसित/अधिसूचित
नहीं हों.
8. बीज के आकार तथा अंकुरण जांच बगैर सोयाबीन बीज की प्रति हेक्टेयर मात्रा का
निर्धारण नहीं करें.
9. अनावश्यक रूप से अधिक बीज का प्रयोग नहीं करें.
10. विशेष-अवांछित स्थिति को छोड़कर अमानित अंकुरण क्षमता वाले बीज का प्रयोग नहीं
करें.
11. बीज उपचार में फफूंदनाशक-कीटनाशक द्वारा उपचारित करने से पहले जैविक कल्चर
का उपयोग नहीं करें.
12. सोयाबीन में रासायनिक फफुन्दनाशक से बीजोपचार बोवनी से पूर्व में ही किया जा
सकता हैं जबकि कीटनाशक एवं जैविक कल्चर से बीजोपचार बोवनी से