
MANISH BAFANA
जहर शब्द आते ही सांस फूल जाती है , बासमती चावल को बड़े चाव से और बड़े फक्र के साथ अपनी थाली में सजा देखकर थाली भी इतराती है परंतु जब चावल की सुगंध में जहर घुल जाए तो ,हैरान और परेशान होना स्वाभाविक है। जब से पंजाब और हरियाणा सरकार ने चावल में जहर की मात्रा अधिक देखकर ,अपनी सरकार के आला अधिकारियों को सूचित करते हुए। जहरीले कीटनाशकों का जहर निकालने का आदेश देकर ,पूरे देश में सनसनी फैला दी । विदेशो में खाद्य पदार्थ के निर्यात करने पर निगरानी रखने वाली एजेंसी” एपीडा” ने पंजाब और हरियाणा सरकार को अलर्ट जारी करते हुए, बताया कि प्रदेश से आने वाला बासमती चावल में कई जहरीले कीटनाशक पाए जा रहे हैं । विदेशों में भारतीय बासमती चावल पर संकट आने की संभावना है , तब प्रदेश सरकार जागी और उसने तुरंत ही 10 कीटनाशकों पर प्रतिबंध लगाते हुए चेतावनी दी। प्रतिबन्ध लगाकर कहा भयंकर जहरीले कीटनाशकों को चावल की खेती में उपयोग ना करें। उपयोग करवाने वालों पर सरकार कड़ा प्रहार करेगी | द ट्रिब्यून की एक रिपोर्ट के अनुसार प्रतिबंधित कीटनाशकों में एसेफेट, बुप्रोफेजिन, कार्बेन्डाजिम, क्लोरपायरीफॉस, मेथामिडोफोस, प्रोपिकोनाजोल, थियामेथोक्सम, ट्राईसिलाजोल, प्रोफेनोफोस और आइसोप्रोथिओलेंस शामिल हैं.|
आदेश में कहा गया है कि निर्यात की खेपों में अत्यधिक कीटनाशक अवशेषों की समस्या को दूर करने के लिए राज्य ने यह निर्णय लिया है और 60 दिनों के लिए 10 कीटनाशकों की बिक्री, स्टॉक और उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया है. पिछले साल इस तरह के रसायनों के खतरों के बारे में किसानों को जागरूक करने के लिए एक अभियान शुरू किया गया था. आदेश ने कहा गया है कि “इन मुद्दों को देखते हुए, राज्य सरकार ने राज्य में चावल की फसल पर इन कीटनाशकों की बिक्री, स्टॉक, वितरण और उपयोग पर रोक लगा दी है. ये कीटनाशक चावल, विशेष रूप से बासमती के निर्यात और खपत में संभावित बाधा हैं.”| इन खतरनाक कीटनाशक को जब अप्रूवल मिला था तब सेंट्रल इंसेंटिसाइड बोर्ड एवं रजिस्ट्रेशन कमिटी ने कीटनाशकों को स्वास्थ्य की दृष्टि से अनुकूल और पर्यावरण के प्रति संतोषजनक बताया था । जब भी कोई नया कीटनाशक रजिस्ट्रेशन के लिए आता है ,तब वैज्ञानिक और समिति कीटनाशकों को पर्यावरण हितेषी ,मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए उपयुक्त और संतोषजनक बताकर उसका रजिस्ट्रेशन कर देते हैं। 6 साल बाद यही कीटनाशक घातक और जरीला साबित होने लगता है । भारत सरकार की कीटनाशक रजिस्ट्रेशन समिति के वे दावे झूठे साबित हो जाते हैं ,जब कीटनाशक मनुष्य के लिए घातक हो जाता है। देशभर में 1000 से अधिक कीटनाशक प्रचलन में हैं । 27 से अधिक कीटनाशकों को प्रतिबंधित करने का मामला अभी पेंडिंग पड़ा है । सेंट्रल इंसेंटिसाइड बोर्ड रजिस्ट्रेशन कमिटी कीटनाशक के पंजीयन के समय फसल के लिए कीटनाशक को हितेषी बता कर पंजीयन कर देती है और कुछ वर्षों एक नई रिपोर्ट आती है और उस रिपोर्ट में वही कीटनाशक जहरीला और मनुष्य के साथ खिलवाड़ करने वाला बताया जाता है । यह साफ तौर पर बड़ा लेनदेन और आर्थिक कमाई का अत्याचार केंद्रीय आला अधिकारियों का है। यह एक सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है कुछ लोग मिलकर इस बड़े खेल में शामिल है |