किसान संघ की गर्जना से मोदी सरकार पर जमी बर्फ पिघलेगी?

आरएसएस के सहयोगी संगठन नरेंद्र मोदी नेतृत्व वाली केंद्र सरकार को झकझोरने की पूरी तैयारी में हैं   |भारतीय किसान संघ ने केंद्र सरकार के सामने किसानों की लंबी मांग उठाकर ,केंद्र सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया है |पूरे देश भर के भारतीय किसान संघ के किसान 19 दिसंबर को दिल्ली में केंद्र सरकार के सामने अपनी विभिन्न मांगों को उठाएंगे  | किसान संघ की गर्जना रैली से साफ जाहिर होता है कि, किसान संघ अपनी दहाड़ को और मजबूत करते हुए  ,मोदी सरकार से  किसानों की समस्याओं को लेकर दो  चार  हाथ करने की ठान ली है | केंद्र सरकार किसानों को लेकर कोई विशेष और ठोस नीति नहीं बना पा रहा है  | पूर्व में , किसान नेता  टिकैत के    संयुक्त किसान मोर्चा ने भी मोदी सरकार को लंबे समय तक घेरे रखा  |अब  किसान संघ देशभर में यूरिया का संकट ,किसानों की घटती आमदनी ,किसानों द्वारा अपनाए जाने वाले कृषि आदान ऊपर जीएसटी की मार से किसान संघ आग बबूला है |  मोदी सरकार के तीन कृषि कानून जो वापस लिए है जबकि भारतीय किसान संघ कृषि कानून के पक्ष में था परंतु किसान संघ की बात को केंद्र सरकार ने दरकिनार कर दिया और तीनों कृषि कानून वापस लेलिए|  इस बात से भी भारतीय किसान संघ केंद्र सरकार से खफा है, वैसे भी केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से भारतीय किसान संघ की पटरी नहीं बैठ रही है | मध्यप्रदेश में किसान संघ की रैली में प्रदेश के मुख्यमंत्री को आना पड़ा और किसानों की समस्याओं का निराकरण मंच से करने का आश्वासन दिया  | इससे ही मालूम पड़ता है कि भारतीय किसान संघ भारतीय जनता पार्टी के किसान नीतियों को किसान  अनुकूल नहीं मानता है | भारतीय किसान संघ केंद्र सरकार से इस बार आर- पार की लड़ाई की तैयारी के साथ दिल्ली जा रहा है  | देशभर के संघ के कार्यकर्ता गांव- गांव पीले चावल देकर दिल्ली में होने वाली किसान गर्जना रैली में शामिल होने के लिए किसानों को एकजुट कर रहे हैं। दिल्ली में होने वाली गर्जना रैली मैं किसान नेताओं का प्रमुख एजेंडा स्पष्ट है की,किसानों को उनकी उपज का भाव लागत के आधार पर सुनिश्चित लाभ जोड़कर लाभकारी मूल्य मिलना चाहिए। लाभकारी मूल्य की गणना के लिए कृषि उपज की संपूर्ण लागत निकालनी होगी। लागत की गणना एमएसपी के रूप में की जाती है, वह तर्कसंगत नहीं है। इसमें भूमि मूल्य की गणना नहीं की जाती तथा किसानों को एक अकुशल श्रमिक मानकर उसका कुछ दिन का श्रम जोड़ा जाता है। परिवार के अन्य सदस्यों के श्रम की गणना भी नहीं की जाती। सरकार लागत के आधार पर लाभकारी मूल्य को लागू करें तथा इसके मिलने को नियम बनाकर सुनिश्चित करें। सभी प्रकार के कीटनाशक और खेती दवाई ,कृषि यंत्रों, अन्य कृषि में उपयोगी वस्तुओं के ऊपर जीएसटी समाप्त होनी चाहिए। किसान सम्मान निधि में पर्याप्त बढ़ोतरी की जाए। किसान के ट्रैक्टर को 15 साल पुराने वाहनों को नष्ट करने की नीति से बाहर रखा जाए प्रमुख मांग है |  वैसे भी भाजपा के लिए हमेशा किसान आंदोलन मुश्किल भरा रहा है ,मध्यप्रदेश में किसान आंदोलन में भाजपा की सरकार से ताज छीन लिया था , तो केंद्र सरकार को सकते में डाल दिया था |  दिल्ली में किसानों के संगठन संयुक्त किसान मोर्चा ने दिल्ली को लंबे समय तक बंधक बना दिया  , ऐसे में भारतीय किसान संघ लाखों किसानों को दिल्ली ले जाकर मोदी सरकार के कान में गर्जना करके, मांगों को मनवाने की भरपूर कोशिश कर रहा है | कृषि आदान के ऊपर सरकार  भारी भरकम टैक्स लगाता है, उससे छुटकारा मिल पाएगा यह किसान संघ की गर्जना पर निर्भर करता है |

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