
500 मिलीलीटर की बोतल की कीमत करीब 600 रुपये होगी।
सरकार को विश्वास है कि प्रस्तावित नैनो डाईअमोनियम फॉस्फेट (एन-डीएपी) अगले खरीफ सत्र से किसानों के लिए उपलब्ध होगी। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि एन-डीएपी उपलब्ध होने के पहले इसके लिए सभी जरूरी मंजूरियां मिल जाएंगी। नैनो यूरिया की तरह ही एन-डीएपी भी इंडियन फार्मर्स फर्टिलाइजर्स कोऑपरेटिव और प्राइवेट सेक्टर के साझा प्रयास से संयुक्त रूप से तैयार की जा रही है।
अधिकारी ने कहा, ‘एन-डीएपी का परीक्षण करीब पूरा हो चुका है। हमें उम्मीद है कि यह किसानों को अगले खरीफ सत्र से मिल सकेगी।’ शुरुआती अनुमान के मुताबिक एनडीएपी की 500 मिलीलीटर की बोतल की कीमत करीब 600 रुपये होगी। यह सब्सिडी वाले डीएपी की 50 किलो की एक बोरी की कीमत 1,350 से 1,400 रुपये कीमत की आधी होगी।
यूरिया के बाद भारत में सबसे ज्यादा खपत डीएपी की होती है। डीएपी की सालाना खपत करीब 100 से 125 लाख टन होती है, जबकि भारत में उत्पादन 40 से 50 लाख टन है। शेष खाद का आयात होता है। एन-डीएपी की वजह से गैर यूरिया उर्वरकों की सालाना सब्सिडी के आयात में कमी आने की उम्मीद है।
नैनो यूरिया के मामले में अधिकारियों ने कहा कि 2024-25 तक 500 मिलीलीटर की करीब 44 करोड़ बोतल का उत्पादन होने लगेगा। यह करीब 2 करोड़ टन यूरिया के बराबर होगा। भारत का घरेलू यूरिया उत्पादन करीब 260 लाख टन है, जबकि मांग 350 लाख टन है। उत्पादन और खपत के बीच अंतर की भरपाई आयात से पूरी की जाती है।
अधिकारी ने कहा, ‘मुझे नहीं लगता कि यूरिया की पूरी खपत की जगह नैनो के इस्तेमाल की जरूरत है, क्योंकि कुछ परंपरागत यूरिया अभी भी पौथ के बढ़ने के बाद की स्थिति में डाली जाएगी।’ अधिकारी ने कहा कि पहले चरण में 2025 तक 44 करोड़ बोतल उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है, उसके बाद इसे रोका जाएगा जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि सभी परंपरागत यूरिया की जगह इसका इस्तेमाल न होने लगे।
अधिकारी ने यह भी कहा कि सरकार वन नेशन, वन फर्टिलाइजर के तहत सिंगल सुपरफॉस्फेट (एसएसपी) को लाने की ओर अग्रसर है। एक फर्टि