
मनीष बाफना————-
विश्व बैंक की एक ताजा रिपोर्ट में बताया गया है कि , अब आने वाला समय बहुत ही गरम होने जा रहा है । तापमान की बढ़ोतरी से इस साल कि अप्रैल में तापमान 46 डिग्री होने और मार्च से ही जबरदस्त गर्मी होने का जिक्र करते हुए बताया कि, आने वाले समय में यह और बढ़ेगा । विश्व के अतिरिक्त भारत में इसका प्रभाव ज्यादा देखने को मिलेगा । भारत में गर्मी की बर्दाश्त करने की सीमा पार कर जाएगी। जिससे मौतें होगी ,बेरोजगारी बढ़ेगी और आर्थिक भोजन संकट भयानक रूप लेगा। रिपोर्ट में बताया गया कि दुनिया में इसका सबसे ज्यादा प्रभाव भारत पर पड़ेगा। उष्ण गर्मी के कारण भारत में 75% कामगार(38 करोड़ लोग) प्रभावित होंगे । प्रभावित होने वाले में ज्यादा संख्या खेत में काम करने वाले मजदूर, निर्माण कार्य वाले मजदूर पर पड़ेगा। दुनिया में 80 करोड़ों लोग बेरोजगार हों गे जिसमें भारत में 34 करोड़ केवल भारत के होंगे। गर्म हवा या लू सन 2036 तक कई गुना बढ़ जाएगी । सन 2030 में उच्च तापमान की वजह से आर्थिक गतिविधि कम होगी और भारत अपनी जीडीपी का 4.5% खोने लगेगा । तापमान बढ़ने से दो तिहाई वर्ग ऐसा होगा ,जो इस गर्मी को झेल नहीं पाएगा । इससे मौत ,बीमारियां और अनेक तरह का जीवन संकट बना रहेगा । इसमें दो राय नहीं की विगत मार्च माह में भयानक गर्मी के कारण ही गेहूं की पैदावार घट गई । आने वाले दिनों में न केवल तापमान बढ़ने बल्कि लंबे समय तक बने रहने वाले ग्रीष्म काल से भी कृषि चक्र प्रभावित होने का खतरा है। यानी मानव जीवन ,उत्पादन ,अर्थव्यवस्था पर आसन्न संकट।
केंद्र सरकार ने लोकसभा में बताया कि ,क्लाइमेट चेंज पर एक अध्ययन कराया गया रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 1901 से2018 के दौरान भारत में औसत तापमान 0.7 डिग्री सेल्सियस गरम हुआ | 1951 से 2015 के लिए उष्णकटिबंधीय हिंद महासागर में समुद्री सतह के तापमान में 1 डिग्री सेल्सियस तक बड़ा तापमान देखा गया , I CAR ने 2011 में जलवायु परिवर्तन की अध्ययन रिपोर्ट ने बताया कि बढ़ती गर्मी के कारण भारत में 2050 में सिंचित चावल की की पैदावार 7% घटेगी |वही गेहूं की पैदावार 6 से 25% की कमी आएगी | मक्के की उपज में 18 से 23% की कमी होने का अनुमान है |
वर्त्तमान में इस समय दिसंबर माह में भी शीत ऋतु में ठंड कम है, ऊनी कपड़े वालों का व्यवसाय ठप है। आइसक्रीम और कोल्ड ड्रिंक्स ठंडे पेय का कारोबार , शीत ऋतु में भी अच्छा खासा चल रहा है। मौसम परिवर्तन का असर मानव जीवन पर और प्रकृति पर पढ़ाना शुरू हो चुका है।