फसल बीमा के बाद केंद्र सरकार यूनिवर्सल पशुधन बीमा योजना लाने की योजना बना रही है। इस बीमा के दायरे में देसी और संकर नस्ल के सभी मवेशी होंगे। इसमें याक तथा सांड को भी शामिल किया जा सकता है।
मवेशियों के लिए यूनिवर्सल बीमा योजना की व्यापक रूपरेखा आगामी बजट में जारी की जा सकती है। मगर अलग से इसकी पुष्टि नहीं हो पाई है। सूत्रों ने कहा कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की ही तरह मवेशी बीमा योजना में भी किसानों को बहुत कम प्रीमियम देना पड़ सकता है। साथ ही राज्य तथा केंद्र सरकार सब्सिडी के रूप में प्रीमियम का एक हिस्सा भर सकती हैं।
यह बीमा योजना आई तो देश के लाखों पशुपालकों को बड़ी राहत मिलेगी क्योंकि लंपी तथा अन्य बीमारियों की वजह से उन्हें काफी नुकसान उठाना पड़ा है। कुछ लोगों का कहना है कि यह प्रस्ताव मौजूदा ‘गौ संरक्षण’ अभियान के अनुकूल है।
इस समय अधिकतर बीमा कंपनियों के पास मवेशी बीमा से संबंधित योजना हैं। इसके अलावा केंद्र सरकार पशुधन बीमा योजना के नाम से एक योजना चला रही है। इस योजना के लिए 10वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान 2005-06 और 2006-07 में तथा 11वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान 2007-08 में 100 जिलों को परीक्षण हेतु चुना गया था। इसके बाद 2008-09 से इसे 100 नए चयनित जिलों में इसे नियमित आधार पर लागू किया गया था।
इस योजना के अंतर्गत संकर और ज्यादा दूध देने वाले मवेशियों तथा भैंसों का बीमा उनके मौजूदा बाजार भाव के आधार पर किया जाता है। इस तरह के बीमा के प्रीमियम पर 50 फीसदी सब्सिडी दी जाती है। सब्सिडी का पूरा खर्च केंद्र सरकार उठाती है। योजना की अवधि तीन साल की होती है और हर लाभार्थी को अधिकतम दो मवेशियों के लिए ही सब्सिडी दी जाती है।
आधिकारिक दस्तावेज के अनुसार पशुधन बीमा योजना को दो मकसद से तैयार किया गया था। पहला, मवेशियों के अचानक मरने की स्थिति में किसानों को नुकसान से सुरक्षा प्रदान करना और दूसरा, लोगों को पशुधन बीमा का लाभ दिखाना तथा पशुधन एवं उसके उत्पादों की गुणवत्ता सुधारकर इसे लोकप्रिय बनाना।
भारत में संकर और देसी नस्ल के मवेशियों की संख्या 19.3 करोड़ से अधिक है, जो दुनिया में सर्वाधिक है। मगर देसी नस्ल की गाय से दूध उत्पादन की दर संकर गाय या भैंस की तुलना में काफी कम है।