विदेशी तेल  के खरीदी से किसानों  का निकल रहा है तेल , किसान लाभकारी मूल्य  पाने में हो रहे है–  फेल 

1-|भारत  खाद्य तेलों की अपनी कुल मांग का लगभग 55% आयात  करता है |

2-   140 लाख टन  खाद्य तेलों के आयात के माध्यम से पूरा किया जाता है

3- देश में  खाद्य तेल  की कुल मांग लगभग 255 लाख   टन   है 

4-मध्यप्रदेश में  सोयाबीन से  22 लाख टन तेल मिलता है |

4- मध्य प्रदेश में सोयाबीन के  गिरते भाव  सरकार के लिए मुसीबत  बन सकती है

MANISH BAFANA -किसानों की ऊर्जा अपनी आय को बढ़ाने में लग जाती है , कहने का मतलब है  किसान को  परिश्रम करते करते उसका तेल निकल जाता है। मगर  भारत में तेल की कमी  होने के कारण विदेशों पर आश्रित होना पड़ रहा है।  बाहर से मंगाया गया तेल  भारत की जनता  के  रोजमर्रा  की  पूर्ति   करता है |भारत  खाद्य तेलों की अपनी कुल मांग का लगभग 55% आयात  करता है |

  जब तेल विदेशो  से मंगाना पड़ेगा    तो देश के किसानों  के द्वारा तिलहन फसल बोई जा रही है उसका उचित दाम कैसे मिलेगा  ?  सोयाबीन की खेती करने वाले किसानों को इस वर्ष  उचित दाम  ना मिलने की दहशत बनी हुई है ।  क्योंकि केंद्र सरकार  देश  मैं  आयातित तेल  नागरिकों को खिला रही है ।  केंद्र सरकार चुनावी सुगबुगाहट के अंतर्गत  महंगाई को नियंत्रित करने के  उद्देश्य  खाद्य तेलों पर  आयात शुल्क भी बहुत कम कर दिया है।

देश में  खाद्य तेल  की कुल मांग लगभग 255 लाख   टन   है  ,जबकि खाद्य तेलों का कुल घरेलू उत्पादन लगभग 115 लाख  टन  है।   खाद्य तेलों की मांग और आपूर्ति के बीच   के अंतर को लगभग 140 लाख टन  खाद्य तेलों के आयात के माध्यम से पूरा किया जाता है | देशभर में ११     लाख   टन  तेल की जरूरत प्रत्येक महीने होती है | देश  खाद्य तेलों का आयात  करता रहेगा तो देश भर के  तेल उत्पादन  करने वाली फसलों  को लाभकारी मूल्य कैसे मिलेगा ?  वर्तमान में सोयाबीन का मंडी भाव  लगातार नीचे गिर रहा है, हो सकता है कि यह समर्थन मूल्य के आसपास आ जाए ।  ऐसे में मध्य प्रदेश में   विधानसभा के चुनाव  के वक्त  सोयाबीन के गिरते भाव भाजपा     सरकार को आफत का फंदा  बन सकता है | अधिक से अधिक तेल भारत  में सुलभ हो सके इसकेलिए  केंद्र सरकार में रिफाइंड सोयाबीन तेल और   रिफाइंड सूरजमुखी तेल पर आयात  शुल्क को  32.5% से घटाकर 12.5% कर दिया  और   पाम ऑयल  को भी शुल्क मुक्त कर दिया।   विदेशी तेल का आगमन सरल और सुलभ बनाकर  सोयाबीन उत्पादन करने वाले किसानों  को लाभकारी मूल्य से दूर करने का  पूरा का पूरा  खाका तैयार कर लिया गया है  |  देश का   किसान  सरसों   फसल का उत्पादन ज्यादा करता है जिससे  40  लाख  टन तेल  देश को मिलता है , और सोयाबीन से  22 लाख टन  मिलता है , तो मूंगफली से 23 लाख टन  मिलता है

  मूंगफली और सरसों फसल  उत्पादक किसानों को  लाभकारी मूल्य मिल तो रहा है परंतु सोयाबीन  उत्पादन करने वाले किसानों को इस वर्ष लाभकारी मूल्य मिल सकेगा इस पर प्रश्नचिन्ह  लगा हुआ है   ?  यदि देश के किसानों को  तिलहन फसल का लाभकारी मूल्य मिलने लगे तो  विदेशियों से तेल मंगवाने की आवश्यकता नहीं होगी । देश का किसान बहुत ही      मेहनत   कार्यशील है | देशभर में  140 लाख तक  सोयाबीन का बीज बिकता है |  मध्यप्रदेश में  65 लाख  टन  बीज   खेतो में  किसान लगता  हैं उस से 10.43 लाख  टन तेल  देश को समर्पित करते हैं | देश में तेल की जरूरत को पूरा करने के लिए केंद्र सरकार  अपने आयातकों  के  के माध्यम से प्रतिदिन 35000  टन    तेल की खरीदी विदेशों से कर रही है।

विदेशों से आयातित तेल  की मात्रा को सीमित कर दिया जाए तो किसानों की माली हालत में सुधार हो जाएगा ।  किसानो को तिलहन फसल पर  बहुत अच्छा   मूल्य प्राप्त होने लगेगा  , जिससे किसानों की आमदनी  में बढ़ोतरी होगी।  जब किसानों की आमदनी बढ़ेगी तभी तो देश भर के खुदरा बाजार चलेंगे और खुदरा बाजार  चलेंगे तो  सरकार को राजस्व भी मिलेगा ,तभी  देश का वास्तविक  रूप से विकास होगा।

देश अपनी आजादी का अमृतकाल  उत्सव  बना रहा है  आत्मनिर्भरता की तरफ बढ़ रहा है  परंतु  किसानों  की  अनदेखी कर  विदेशियों से तेल मंगवा कर  किसानों   लाभकारी मूल्यों से दूर करके  अमृतकाल   का आनंद नहीं लिया जा सकता।

Leave a Reply

Your email address will not be published.