चावल की यह किस्म मधुमेह रोगियों के लिए काफी फायदेमंद साबित होता है. अपने इस नई खोज के जरिए उमेश ने डॉक्टरों का ध्यान अपनी ओर खींचा है. इसके अलावा अपने साथी किसानों को भी उमेश इस विशेष किस्म की धान की खेती करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं.
उमेश चंद्र नायक अन्य किसानों की तरह की धान की खेती करते हैं पर उनकी धान खास होती है. खेती करते हुए उमेश ने चावल की एक किस्म ‘तेलंगाना सोना आरएनआर 15048’ विकसित की है. चावल की यह किस्म मधुमेह रोगियों के लिए काफी फायदेमंद साबित होता है. अपने इस नई खोज के जरिए उमेश ने डॉक्टरों का ध्यान अपनी ओर खींचा है. इसके अलावा अपने साथी किसानों को भी उमेश इस विशेष किस्म की धान की खेती करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं.
शुगर मरीजों के लिए बन सकता स्वस्थ भोजन का विकल्प
ओडिशा की एक वेबसाइट के मुताबिक चावल की किस्म ‘तेलंगाना सोना आरएनआर 15048’ एक गेम-चेंजर साबित हो सकती है. बताया गया है कि चावल की इस किस्म में कार्बोहाइड्रेट की मात्रा 50 फीसदी है, जो पारंपरिक चावल की किस्मों में पाए जाने वाले कार्बोहाइड्रेट की मात्रा से 80 फीसदी कम है. कम कार्बोहाइड्रेट सामग्री कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स (जीआई) में बदल जाती है, जिससे यह मधुमेह से जूझ रहे लोगों के लिए एक स्वस्थ भोजन विकल्प बन जाता है. इसलिए उमेश चंद्र के द्वारा विकसित की गई चावल चावल न सिर्फ स्वास्थ्यवर्धक है बल्कि यह अधिक किफायती भी है. क्योंकि ओडिशा में शुगर मरीजों के खाने के लिए जो चावल मिलता है वह 260 रुपये किलोग्राम की दर से बिकता है. पर उमेश चंद्र का विकसित चावल इससे काफी कम कीमत पर उपलब्ध है.
सफल साबित हुआ फैसला
हालांकि फार्मास्यूटिकल सेक्टर में एक जमे-जमाए काम को छोड़कर खेती करने का फैसला इतना आसान नहीं था. पर उन्हें विश्वास था की वो इसमें सफल होंगे. साथ ही उन्हें यह भी विश्वास था कि धान की इस खास किस्म की खेती करने से उन्हें लाभ होगा. इस सोच के साथ उन्होंने पहले एक एकड़ क्षेत्र में धान की खेती शुरू की. पहली बार में ही उन्हें अच्छी सफलता मिली. अपनी शुरुआती फसल की सफलता के साथ उमेश ने अपनी खेती का विस्तार करने की योजना बनाई है, जिससे मधुमेह के अनुकूल चावल की इस किस्म का अधिक से अधिक प्रचार हो सके और सभी के लिए उपलब्ध हो सके.