ऐसे सोयाबीन बीजों पर शोध हो जिससे फसलों पर कम से कम खरपतवार नाशक का उपयोग हो -राज्यसभा सांसद श्री गुर्जर

IARI – ICAR के संयुक्त शोध केंद्र सिपानी कृषि अनुसंधान फॉर्म चांगली मन्दसौर में आयोजित विशाल किसान सम्मेलन मे कई राष्ट्रीय वैज्ञानिक और उन्नतशील किसान सम्मिलित हुए

डॉ घनश्याम बटवाल की रिपोर्ट

मंदसौर । मध्य प्रदेश का मालवा सोयाबीन उत्पादन के लिए पूरे देश में जाना जाता है लेकिन लगातार खरपतवार नाशक दवाइयां के इस्तेमाल करने से उत्पादन पर भी असर हो रहा है और जमीन पर भी रासायनिक प्रभाव बढ़ता जा रहा है इसलिए अभी क्षेत्र में सोयाबीन के शोध का महत्व बढ़ गया है और ऐसे बीजों की आवश्यकता महसूस की जा रही है जिसमें कम से कम वीड़ीसाइड्स का इस्तेमाल हो यह बात राज्यसभा सांसद श्री बंशीलाल गुर्जर ने भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान नई दिल्ली

( IARI – ICAR )के संयुक्त शोध केंद्र सिपानी कृषि अनुसंधान फॉर्म चांगली मन्दसौर में आयोजित स्थापना दिवस अवसर के विशाल किसान सम्मेलन में कही क्षेत्र के नवनिर्वाचित राज्यसभा सांसद एवं राष्ट्रीय किसान नेता श्री गुर्जर ने कहा कि मालवा – मेवाड़ और निमाड़ आदि इलाकों की जलवायु के अनुकूल होने वाली उपज में सुधार और गुणवत्तापूर्ण पैदावार के लिए एग्रो साइंटिस्ट शोध कार्य करें ताकि किसानों को लाभ मिले । ।

इंटरनेशनल एग्रो साइंटिस्ट एवं भारतीय कृषि अनुसंधान केंद्र संयुक्त निदेशक (अनुसंधान ) डॉ विश्वनाथन सी ने किसान सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि सेंट्रल इंडिया में सिपानी कृषि अनुसंधान फॉर्म के साथ जुड़कर भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान नई दिल्ली लगातार रबी और खरीफ की फसलों पर काम कर रहा है |

डॉ विश्वनाथन ने कहा कि भारत खाद्य उत्पादन में आत्मनिर्भर हुआ है और सामान्य व संकटकाल में विदेशों को निर्यात कर रहा है । देश के प्रधानमंत्री और कृषि मंत्री का फ़ोकस किसानों को सक्षम और समृद्ध बनाने का है इस दिशा में विभिन्न उपज पर निरंतर शोध प्रक्रिया जारी है ,अनुसंधान से पैदावार बढ़ाने पर काम होरहा है ।

सम्मेलन में जनपरिषद जिला संयोजक एवं वरिष्ठ पत्रकार डॉ घनश्याम बटवाल ने कहा कि किसानों को बीजों की प्रामाणिकता बहुत अहम है , खराब क्वालिटी का बीज किसानों के श्रम , फ़सल और लागत को बुरी तरह प्रभावित करता है ।

सिपानी कृषि अनुसंधान मंदसौर निदेशक श्री नरेंद्रसिंह सिपानी ने स्वागत उध्बोधन में कहा कि मक्का पर अनुसंधान के लिए टेस्टिंग लेबोरेटरी स्थापना और अंचल के किसानों , युवाओं , शोधकर्ताओं के लिए सीड प्रोडक्शन , सीड प्रोसेसिंग के साथ टेस्टिंग टेक्नोलॉजी सर्टिफिकेट कोर्स आरम्भ किये जाने की आवश्यकता है । इसके आधार पर एग्रो रेवोल्यूशन तैयार हो सकेगा

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