क्या शिवराज  मध्य प्रदेश के सोयाबीन राज्य  का कामकाज   “राम राज्य में बदल पाएंगे ?

मध्य प्रदेश में विगत दो सालों से सोयाबीन के गिरते भाव होने के कारण मध्य प्रदेश के किसानों की आमदनी दिन पर दिन पिछड़ने लगी है

2-बढ़ती हुई महंगाई को रोकने के लिए मध्य प्रदेश के सोयाबीन पैदा  करने वाले किसान अपना बलिदान कब तक  देते रहेंगे

3-मध्य प्रदेश के   किसान लगातार बढ़ते आयातित खाद्य तेल में दबता हुए नजर आ रहे हैं

उत्पादन लागत से 1800 रुपये प्रति क्विंटल कम हुआ सोयाबीन का दाम, तिलहन फसल की खेती करके पछता रहे हैं किसान——

 MANISH BAFANA—केंद्र सरकार ने एमएसपी घोष‍ित करते हुए माना था क‍ि क‍िसानों को इसकी उत्पादन लागत 3029 रुपये प्रत‍ि क्व‍िंटल पड़ती है | सोयाबीन के भाव वर्तमान में न्यूनतम समर्थन मूल्य से भी नीचे चले गए है ।  वैसे तो मध्य प्रदेश सोयाबीन राज्य कहलाता है और यहां सोयाबीन को सोने के समान बताया जाता है। दो वर्षो  से सोयाबीन उत्पादन करने वालों किसानों की कमरटूटती  नजर आ रही है | जहां पहले मध्य प्रदेश का सोयाबीन  10000 रु     कुंतल के भाव से बिक रहा था परंतु विगत  2 वर्षों से सोयाबीन का भाव समर्थन मूल्य ₹4600 से नीचे आने के कारण कई किसानों को लाखों का घाटा हो रहा है ।  बताया जाता है कि ,एक किसान परिवार को सोयाबीन ने  कम से कम 20000 रुपए का घटा दिया है।  वैसे देखा जाए तो शिवराज सिंह चौहान का चेहरा किसान हितेषी के साथ-साथ मध्य प्रदेश में कृषि को उच्च विकास दर पर ले  जाने  का रिकॉर्ड बना है ।  मध्य प्रदेश में शिवराज का  मुख्यमंत्री राज रहने पर कृषि विकास की दर   देशभर में अच्छी खासी थी ।  मोदी राज- 2 में नरेंद्र मोदी शिवराज सिंह चौहान को कृषि मंत्री बनाकर केंद्र में लाना चाहते थे परंतु शिवराज सिंह चौहान का प्रदेश मोह- मोहन होने के कारण केंद्र में जाने में अपनी असमर्थता व्यक्त कर दी  थी ।  नरेंद्र मोदी को शिवराज  पर यह भरोसा है कि वे कृषि की नईया पार  लगा देंगे।  शिवजी  को कृषि में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा।  सबसे पहले अपने प्रदेश मध्य प्रदेश में सोयाबीन पैदा करने वाले किसानों को उनकी उचित फसल का भाव दिलाना होगा।  केंद्र सरकार खाद्य तेल का आयात जबरदस्त  तरीके से कर रही है  , उसे भी रोकना होगा | जिससे सोयाबीन किसानों को अपनी मेहनत का बलिदान महंगाई पर नहीं करना पड़ेगा ।   राष्ट्रीय  स्तर पर  किसान आंदोलन पुनः  पनपने  की तैयारी शुरू हो चुकी है  ,उस पर भी शिवराज सिंह को तलवार की नोक पर चलना होगा । किसान  की आमदनी कितनी बड़ी  इसका सर्वे केंद्र सरकार को बहुत जल्दी करवा कर इस बात का पता लगाना होगा कि , वास्तव में किसानों की आमदनी आज की स्थिति में क्या है ? छोटे किसान   खत्म होने की कगार पर है ।  खेती से पलायन  हो रहा है  , किसानों का पलायन शहरो  की तरफ निरंतर बढ़ रहा है ।  प्रति किसान परिवार की आय में कुछ ज्यादा इजाफा होते नहीं  दिख रहा है । ऐसी कई विकट समस्या शिवराज  को   घेरेगी ।  शिवराज जी को अर्जुन के समान अपने आपको को  धारदार करने की आवश्यकता है ।  तभी शायद सफल कृषि  मंत्री  बने  ? सबसे  पहले मध्य प्रदेश में गिरते सोयाबीन भाव को उच्च स्तर पर ले जाने की कोशिश शिवराज जी  को करनी होगी । 

  किसान नेता और भाजपा के राज्यसभा सांसद श्री बंशीलाल गुर्जर ने भी मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव से चर्चा करते हुए सोयाबीन के गिरते भाव पर अपनी चिंता व्यक्त करते हुए बताया था कि, मध्य प्रदेश में सोयाबीन को समर्थन मूल्य से अधिक पर खरीदी सरकार को तुरंत करनी चाहिए।

 वैसे भी केंद्र सरकार देश भर में तिलहन उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए कमर कस रही है और अपना एड़ी चोटी का जोर लगा रही है ऐसे में मध्य प्रदेश के  किसान  सोयाबीन का रकबा बढ़ाने को  उत्सुक नहीं दिख रहे हैं  क्योंकि मोदी  सरकार का एक तरफ तिलहन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की बात बताती है तो वहीं सोयाबीन उत्पादन करने वाले किसानों की कमर तोड़ रही है ।

Leave a Reply

Your email address will not be published.