मुक्त व्यापार का समझौता बनाकर भारत के कृषि क्षेत्र में अमेरिका अपनी पैठ बनाना चाहता है !
अमेरिका की निगाहें भारत के विशाल कृषि क्षेत्र पर लग गई है , इसीलिए ट्रंप सरकार भारत पर जबरदस्त दबाव बना रही है !अमेरिका के साथ निर्यात और व्यापार करना चाहता है तो भारत को अपने कृषि क्षेत्र को अमेरिका कंपनी के लिए खोलना होगा और अमेरिका कंपनी को भारी रियायत देनी होगी !
वर्तमान में नीति आयोग ने भी भारत सरकार को अमेरिका अधीन विभिन्न जेनेटिक मॉडिफाइड फसल के बीज भारत में बोई जाने की सहमति प्रदान की और सिफारिश की ! इसको लेकर कृषि क्षेत्र की कई विशेषज्ञों, किसान नेताओं, एवं भाजपा के भी कई किसान नेताओं ने इस पर अपनी आपत्ति दर्ज की है ! भारतीय जनता पार्टी के किसान मोर्चा के पूर्व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष नरेश सिरोही ने भी नीति आयोग को अनीति बताया है !
नरेश सिरोही ने कहा है कि,नीति आयोग के हालिया वर्किंग पेपर जिसमें अमेरिकी जीएम फसलों और कृषि उत्पादों के आयात को बढ़ावा देने की सिफारिश की गई है, यह सिफारिश भारत के प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को धता बताते हुए, भारत की अर्थव्यवस्था, स्वावलंबी कृषि, किसानों की आजीविका और जैव विविधता को नष्ट करने वाला, किसान विरोधी नीतियों पर आधारित दस्तावेज़ है।
हाल ही में नीति आयोग द्वारा प्रस्तुत एक वर्किंग पेपर ने देश के कृषि क्षेत्र और किसानों में गहरी चिंता और असंतोष उत्पन्न कर दिया है। इस प्रस्तावित पेपर में भारत-अमेरिका मुक्त व्यापार समझौते के तहत इस पेपर में अमेरिका से कृषि उत्पादों पर आयात शुल्क घटाने, तथा भारत को चावल, काली मिर्च, सोयाबीन तेल, झींगा, चाय, कॉफी, डेयरी उत्पाद, पोल्ट्री, सेब, बादाम, पिस्ता, मक्का और आनुवंशिक रूप से परिवर्तित जेनेटिकली मोडिफाइड (जीएम) सोयाबीन व मक्का को भारत में लाने और भारत को इन उत्पादों के आयातक बाज़ार के रूप में खोलने की सिफारिश की गई है !
नीति आयोग के इस दस्तावेज पर भारतीय किसान संघ ने के राष्ट्रीय नेताओं ने भी आपत्ती दर्ज की है !
अमेरिका की ट्रंप सरकार दुनिया भर के देशों पर ट्रैरिफ का डर दिखाकर अपना सुगम व्यापार करना चाह रही है ! अमेरिका भी भारत के विशाल कृषि क्षेत्र में अपनी कंपनियों को किसानों के खेत तक पहुंचाने के लिए भारत सरकार पर अपना दबाव डाल रही है ! नीति आयोग की यह सिफारिश अमेरिका के दबाव में प्रस्तुत की गई है, ऐसा किसान नेताओं का कहना है !