लगातार भारी बारिश और बाढ़ के कारण नागपुर जिले में 7 हजार हेक्टेयर जमीन पर खड़ी फसलें पूरी तरह बर्बाद हो गई हैं. इस प्राकृतिक आपदा से 8886 से ज्यादा किसान प्रभावित हुए हैं. कृषि विभाग का अनुमान है कि लगभग 400 करोड़ रुपये का नुकसान बारिश की वजह से हुआ है. विदर्भ में 3-4 दिनों से लगातार बारिश जारी है. इसकी वजह से कनहान और कोलार नदियां उफान पर हैं.
विदर्भ में किसानों के लिए आफत बनी बारिश
महाराष्ट्र में इस बार मॉनसून अजब-गजब खेल दिखा रहा है. यहां पर जहां एक तरफ मराठवाड़ा क्षेत्र के किसान कम बारिश से परेशान हैं तो विदर्भ के किसानों के लिए ज्यादा बारिश आफत बन गई है. विदर्भ के कुछ हिस्सों में पिछले कुछ दिनों से तेज बारिश जारी है और इसकी वजह से खेतों में पानी भर गया है. खरीफ की फसलें जैसे सोयाबीन, कपास और अरहर पूरी तरह से पानी में डूब गई हैं. अब किसानों को दोबारा इनकी बुवाई करनी पड़ेगी. किसानों को इस बारिश ने एक बड़ी आर्थिक चोट पहुंचाई है.
किसानों को बड़ा झटका
लगातार भारी बारिश और बाढ़ के कारण नागपुर जिले में 7 हजार हेक्टेयर जमीन पर खड़ी फसलें पूरी तरह बर्बाद हो गई हैं. इस प्राकृतिक आपदा से 8886 से ज्यादा किसान प्रभावित हुए हैं. कृषि विभाग का अनुमान है कि लगभग 400 करोड़ रुपये का नुकसान बारिश की वजह से हुआ है. विदर्भ में 3-4 दिनों से लगातार बारिश जारी है. इसकी वजह से कनहान और कोलार नदियां उफान पर हैं. नदियों के किनारे बसे इलाके पूरी तरह से बाढ़ में डूब गए हैं और पानी खेतों में दाखिल हो गया है. सड़कें, सिंचाईं की नहरें और यहां तक खेती के दूसरे तटबंध पूरी तरह से नष्ट हो गए हैं. इस स्थिति ने फसलों को काफी नुकसान पहुंचाया है.
किसानों ने मांगी आर्थिक मदद
जून में जहां बारिश ने तबाही मचाई तो जुलाई में भी हालात कुछ बेहतर नहीं हैं. इस महीने बारिश और तेज हुई और इसने किसानों को बड़ा झटका दिया. नदियों में पानी बढ़ गया और पूरी फसलें उसमें डूब गईं. लगातार बारिश के कारण किसानों के पास भी खेतों में जाने का कोई विकल्प नहीं बचा था. कई किसान तो अब बड़े आर्थिक संकट की तरफ हैं. फसलों के पूरी तरह से चौपट हो जाने की वजह से कई किसानों को अब दोबारा बुवाई करनी पड़ेगी. किसान मांग कर रहे हैं कि स्थानीय प्रशासन जल्द से जल्द पंचनामा करके उन्हें आर्थिक मदद मुहैया कराए. विदर्भ क्षेत्र में कपास, सोयाबीन, अरहर और चना प्रमुख फसलें हैं.
बारिश पर निर्भर खेती
महाराष्ट्र के मराठवाड़ा और विदर्भ दो ऐसे क्षेत्र हैं जहां पर खेती पूरी तरह से बारिश पर आधारित है. महाराष्ट्र का विदर्भ जो राज्य का एक पूर्वी भाग है, उसमें 11 जिले शामिल हैं. ये जिले हैं, अकोला, अमरावती, बुलढाणा, वाशिम, यवतमाल, नागपुर, चंद्रपुर, भंडारा, गढ़चिरौली, गोंदिया और वर्धा. जबकि मराठवाड़ा में आठ जिले आते हैं इनमें छत्रपती संभाजीनगर, जालना, बीड, धाराशिव, नांदेड़, लातूर, परभणी, हिंगोली शामिल हैं.