खाद की सर्द रात ने यूरिया की 2 बोरी लेने अपनी बारी के इंतजार में महिला की जान गई,
दो दिन से खाद की लाइन में लगी हुई थीं

खाद की लाइन DEATH लाइन बनी,,

MANISH BAFANA ——देख लो विनोद ,,,,,,हरित क्रांति कैसी तेजी से फैल रही है। किसानों को कहां-कहां लाइन में खड़े होकर अपनी बारी का इंतजार करना पड़ रहा है । कभी पैन कार्ड बनवाने में, कभी आधार कार्ड अपडेट , कभी समग्र आईडी बनाने के लिए,,, कभी वोटर लिस्ट में अपना नाम डालने के लिए ,,,,कभी भावांतर योजना का पैसा बैंक से लेने के लिए ,,,मंडी में अपने माल को बेचने के लिए,,, यहां तक तो सही था ।।।। खेती रीड की हड्डी कहे जाने वाली उर्वरक को लेने के लिए किसानों को जोहत करनी पड़ रही है। हैरान कर देती है, शर्मसार कर देती ह। चुनाव में कैसे बड़े वादे किए जाते हैं ,किसानों को खाद उनको घर बैठे मिलेगी , क्या किसानों को मिली ?
गुना जिले की बमोरी विधानसभा क्षेत्र के गांव बागेरी में खाद लेने पहुंची आदिवासी महिला की मौत हो गई. मृतका के परिजनों ने बताया कि वह पिछले दो दिन से खाद की लाइन में लगी हुई थीं. मंगलवार को भूरियाबाई यूरिया लेने बागेरी खाद वितरण केंद्र पर पहुंची थी, लेकिन उस दिन खाद नहीं मिल पाई तो वह बुधवार को भी लाइन में लगी रहीं. लेकिन बुधवार को भी खाद न मिल पाने के कारण भूरियाबाई रात में केंद्र के बाहर कड़ाके की सर्दी में सो गई.

स्वास्थ्य बिगड़ने के बाद महिला को अस्पताल भेजने के लिए एंबुलेंस को कॉल किया गया, लेकिन एंबुलेंस नहीं पहुंची. तभी एक किसान ने अपने निजी वाहन में महिला को बमोरी स्वास्थ्य केंद्र पहुंचाया,लेकिन महिला की तबीयत ज्‍यादा बिगड़ने के कारण उन्‍हें गुना रेफर कर दिया गया. लेकिन, आदिवासी महिला की मौत हो गई. मृतक भूरिया बाई (50) कुसेपुर गांव की रहने वाली थीं.
यूरिया खाद लेने के लिए एक महिला किसान की मृत्यु हो गई ,यह एक महिला नहीं मेरी है –खाद में लाइन लगाने वाले अबतक कई किसान अपनी जान गवा चुके हैं ।
चुनाव के समय कहा गया था कि देशभर में यूरिया खरीदने वाले किसानों की लाइन को समाप्त कर दिया है। हमने नीम कोटेड यूरिया बना दिया है, अब यूरिया की कालाबाजारी उद्योग में नहीं हो रही है । अब किसानों को सुगमिता से यूरिया मिलने लगा है ? परंतु लाल किले से यह जो बात कही गई थी ,—इस आदिवासी महिला रात भर कड़ाके की ठंड में अपना जान गवा दी मगर उसको खाद नहीं मिला यह एक उर्वरक केंद्र की बात नहीं है लगभग प्रदेश के समस्त उर्वरक केदो की स्थिति यही है। वहां खाद लेने की जद्दोजहद करनी पड़ती है ३-४ दिन तक लाइन में खड़ा रहना पड़ता है । बीज बोने से लेकर कटाई तक कितनी तपस्या और परीक्षा देनी होती है। बीज समय पर मिल जाए तो खाद नहीं मिलती है । खाद यदि मिल जाए तो बिजली नहीं मिलती है। यदि बिजली मिल जाए तो मंडी में भाव नहीं मिलते । किसान एक जगह नहीं कई जगह मरता है । परंतु वही चार दिन के बाद जब दूसरा किसान फांसी पर लटकता ह। विश्व गुरु को बनाने के साथ देश की अर्थव्यवस्था तेजी से रफ्तार पकड़ने वाली अर्थव्यवस्था में यदि कृषि का योगदान अहम है तो , वहां खाद का संकट है। किसान लाचार है वह कड़की की ठंड से खाद के लिए मर रहा है तो प्रशासन पुलिस के डंडे भी खा रहा है । एक आदिवासी महिला पूरी रात कड़ाके की ठंड में अपने दो बोरी खाद लेने के लिए अपनी जान गंवा देती है। हुक्मरानों की सफ़ेद चमकीली क्लब पायजामा कुर्ते की सरकार को किसानों के इस संकट से शायद ही हमदर्दी होगी । जांच के निर्देश दे दिए जाएंगे,,—- स्थिति का जायजा लेने के लिए कुछ मंत्री भेज दिए जाएंगे —-कलेक्टर साहब को सख्त हिदायत दे दी जाएगी —–पता चलेगा 5 दिन बाद किसी और किसान ने खाद न मिलने की वजह से अपनी फसल बर्बाद करने के बाद जान दे दी

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