
इंदौर -केंद्र सरकार ने असाधारण राजपत्र जो 8 सितंबर को प्रकाशित किया ,जिसमें खेती दवाइयां जो अभी तक किसानों को गांव की दुकान से ही बेची जा सकती थी। वह अब ऑनलाइन बिकेगी ,सेंट्रल गॉवर्मेँट कृषि दवाइयां ऑनलाइन बेचने का लाइसेंस देने का नियम बना रही है। किसानों के दरवाजे तक कीटनाशक की आपूर्ति के लिए ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से किसी भी कीटनाशक की बिक्री लाइसेंस धारी कर सकता है। परंतु ऑल इंडिया एग्रो इनपुट ने इसका विरोध करते हुए, अपने सभी सदस्यों और व्यापारियों को आह्वान किया है कि, वह पोस्ट कार्ड के माध्यम से संयुक्त सचिव पौध संरक्षण दिल्ली को पोस्टकार्ड लिखकर भारी विरोध करें। संघ का मानना है कि यदि ऑनलाइन
दवाइयों की बिक्री प्रारंभ कर दी गई तो कई व्यापारियों को आर्थिक नुकसान होने लगेगा और बड़ी-बड़ी कंपनियां ऑनलाइन बिक्री कर के छोटे व्यापारियों का धंधा चौपट कर देगी । संघ के सचिव संजय रघुवंशी का कहना है कि किसानों को जो भी खेती दवाई ऑनलाइन के माध्यम से मिलेगी ,तो उसकी गुणवत्ता या फसल पर बुरा प्रभाव पड़ता है तो उसकी शिकायत कैसे की जा सकेगी ? और उसका निराकरण कौन करेगा ? वर्तमान में व्यापारी जो भी दवाई देता है उस पर किसान बहुत ज्यादा भरोसा करता है परंतु ऑनलाइन खेती दवाई प्रारंभ करने से किसानों को भी उतना नुकसान है जितना व्यापारी को है। ऑनलाइन खेती दवाई की बिक्री से बड़ी-बड़ी कंपनियों को जरूर बहुत ज्यादा मुनाफा मिलेगा परंतु गॉंव में कृषि व्यापार करने वाले दुकानदार की आर्थिक माली हालत खराब हो जाएगी । कई खेती दवाई व्यापारियों का कहना है कि जब कोई भी खेती दवाई कारगर नहीं हो पाती है तो किसान उसकी शिकायत कृषि विभाग को करता है। जब ऑनलाइन खेती दवाई की बिक्री होने लगेगी तो खराब खेती दवाई निकलने परउसकी शिकायत किससे की जा सकेगी। एक उदाहरण देते हुए व्यापारियों ने बताया कि उत्तर प्रदेश नोएडा की ऑनलाइन खेती दवाई बेचने वाली फार्म ,यदि मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में किसानों को दवाई उपलब्ध कराती है परंतु दवाई कारगर और अमानक होने पर उत्तर प्रदेश नोएडा की फर्म या दुकानदार पर कार्यवाही केसे की जा सकेगी ? अभी इस पर केंद्र सरकार ने कुछ नहीं बोला है और नहीं इस नए नियम में विस्तार से बताया है। केंद्र सरकार के इस तुगलकी आदेश के खिलाफ पूरे देश भर के पेस्टिसाइड डीलर विरोध स्वरूप खड़े हो रहे हैं ।