MSP कैसे किसानों का भला कर पाएगा ?

मनीष  बाफना –

जब तीनोंकृषि  कानूनों को  केंद्र सरकार द्वारा वापस लिए जाने की घोषणा कर दी है तो , संयुक्त किसान मोर्चा अब   MSP  का ढोलक बजाना शुरू कर दिया है । मोर्चा  30 से अधिक कृषि जिंसों  पर MSP की मांग कर रहा है।  जब तक केंद्र सरकार एमएसपी पर कोई ठोस निर्णय नहीं ले पाती है तब तक आंदोलन चलता रहेगा।  MSP की बात  वह किसान लोग कर रहे हैं जिन्हें कृषि की स्थिति परिस्थिति और बाजार की जानकारी नहीं है।

संयुक्त किसान मोर्चा  अब अपनी नई मांगों को लेकर सामने आ गए हैं !उनमें से कुछ तो ऐसी है जिन्हें मानने से ना केवल खेती का बेड़ा गर्क हो जाएगा बल्कि पर्यावरण को भी और अधिकतम  क्षति पहुंचेगी! किसान नेताओं की मांग मानने से  सब्सिडी का जो मौजूदा ढांचा है वह भी समाप्त हो जाएगा !  किसान मोर्चा इस पर अड़ गया है कि एमएसपी पर खरीदी का गारंटी सुधा कानून बने , ऐसा कानून  किसानों की समस्याओं को बढ़ाने वाला है और कृषि उपज खरीदी की मौजूदा व्यवस्था को समाप्त करने वाला होगा ! MSP से  ऊपज की कीमत बढ़ने से महंगाई  भी प्रभावित होगी। इससे मौजूदा आम जनता के साथ किसानों को महंगाई का सामना करना होगा ।  महंगाई का असर सभी किसानों को उठाना पड़ेगा ! महंगाई का असर ज्यादातर छोटे किसान पर ज्यादा होगा  , क्योंकि भारत का 70% आबादी गांवों में बसता है जिसमें अधिकतर छोटे किसान   हैं !क्योकि एक छोटा किसान  एक  फसल ही ले पाता है।  बाकि 30   उपज  से उत्पादित वस्तु पर msp  होने से इनकी  कीमत  ज्यादा  होगी और छोटा किसान  की क्रय  शक्ति से  बाहर होगी  गरीबी  बढ़ेगी।    एमएसपी का सबसे ज्यादा लाभ बड़े किसानों को  होगा।  एमएसपी का कानून मंडी व्यापारियों को व्यापार करने से बेदखल करने वाला कानून है क्योंकि क्रय विक्रय बाजार में मांग पूर्ति के आधार पर चलता है । जब मांग कम हो तो व्यापारी अधिक कीमत क्यों देगा ? जब सर प्लस कृषि उपज होगी तो सरकार को खरीदना होगा। पहले से ही धान और गेहूं के  सरकारी खरीदी  स्तरप्लस   है और गोदाम भरे पड़े है। वर्तमान में भी  सरकार को नुकसान हो रहा है  पर “चुनावी  चाँद “के कारण  सरकार महेरबान है। MSP   पर   सरकार को जिंसों की  खरीदी करने में अधिक बजट का उपयोग करना पड़ेगा  तो कृषि में    और  अधिक  सब्सिडी   सरकार किसान को नहीं दे सकेगी  वैसे भी  WTO एवं अन्य विदेशी देश भारत द्वारा किसानों को इन डायरेक्ट सब्सिडी देनेपर विरोध जता चुके हैं।

देश के  व्यापारी यो को  जब देश में ही  अधिक दर पर कृषि जींस मिलेगी तो वह किसानों से खरीदने से बेहतर विदेशों से कम दर पर  आयत करने पर मजबूर होगा।  जिससे बाजार का सिस्टम खराब  होगा।

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