11 हजार करोड़ रुपये खर्च कर खाने का तेल की पूर्ति करेगी मोदी सरकार

खाने की तेल कीमतों का काबू करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नेशनल एडिबल ऑयल मिशन का ऐलान किया है. इस मिशन का मुख्य उद्देश्य देश में पाम ऑयल उत्पादन को बढ़ावा देनाहै. इस मिशन के तहत सरकार 11 हजार करोड़ रुपये खर्च करेगी. आपको बता दें कि पाम तेल उत्पादन में इंडोनीशिया दुनिया में नंबर एक पर है. दूसरे नंबर पर है मलेशिया है. कुछ अफ्रीकी देशोंमें भी इसका उत्पादन होता है. खाने वाले तेलों के मामले में भारत के आयात का दो तिहाई हिस्सा केवल पाम ऑयल का है. भारत सालाना करीब 90 लाख टन पाम ऑयल का आयात करताहै.भारत में इंडोनीशिया और मलेशिया दोनों ही देशों से पाम ऑयल का आयात किया जाता है.

एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत की आबादी में हर साल करीब 2.5 करोड़ लोग जुड़ते जा रहे हैं. इसके हिसाब से खाने के तेल की खपत में सालाना 3 से 3.5 फीसदी की बढ़त होने का अनुमान है.

मौजूदा समय में एक साल में भारत सरकार 60,000 से 70,000 करोड़ रुपये खर्च कर 1.5 करोड़ टन खाने का तेल खरीदती है. देश को अपनी आबादी के लिए सालाना करीब 2.5 करोड़ टन खाने केतेल की जरूरत होती है.

क्या है National Edible Oil Mission-Oil Palm (NMEO-OP) 

नेशनल एडिबल ऑयल मिशन के तहत केंद्र सरकार का पाम ऑयल उत्पादन बढ़ाने पर जोर रहेगा. भारत में तैलीय बीजों वाले पेड़-पौधों की उपज बहुत कम होती है. अब इसे बढ़ाकर इतना करनेकी योजना बनी है जिससे किसानों की आय को भी दोगुना किया जा सके. इससे पहले भी भारत को दालों की उपज के मामले में आत्मनिर्भर बनाने की कोशिश हो चुकी है.

आपको बता दें कि भारत सरकार ने कृषि मंत्रालय को ऐसी योजना बनाने को कहा था कि जिससे आने वाले सालों में खाद्य तेलों का आयात बंद किया जा सके.

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