
सिर्फ आप के खाने की चीजों पर ही महंगाई की मार नहीं पड़ी है। पशुओं के चारे पर भी संकट है, भूसा पिछले साल दो से तीन गुना रेट पर बिक रहा है। पिछले साल जो भूसा 400-600 रुपए क्विंटल था, वो इस बार सीजन में ही 1100-1700 रुपए के बीच बिक रहा है। राजस्थान के बीकानेर में गेहूं का भूसा 2000 रुपए कुंटल तक पहुंच गया है।
कृषि और पशु वैज्ञानिकों के मुताबिक एक गाय और भैंस को औसतन 4-8 किलो भूसा चाहिए। हरा चारा न होने की दशा में ये मात्रा बढ़ भी सकती है। हिमाचल प्रदेश के पालमपुर में स्थित भारतीय पशुचिकित्सा अनुसंधान संस्थान में वैज्ञानिक डॉ. पुतान सिंह कहते हैं, “भारत में भूसा पशुओं के चारे का प्रमुख स्त्रोत है। वैसे तो 10 लीटर दूध देने वाली एक भैंस को दिनभर में औसतन 30 किलो चारा चाहिए इसमें 4 किलो दाना, 4-5 किलो भूसा और बाकी हरा चारा होना चाहिए, लेकिन हरा चारा न होने पर किसान भूसे पर निर्भर हो जाते हैं। पशुओं का चारा उनके वजन और उपयोगिता पर निर्भर करता है।”
गेहूं की पैदावार कम होने कई राज्यों में पशु चारे का संकट सीजन में खड़ा हो गया है। जिससे निपटने के लिए हरियाणा, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड समेत कई राज्यों ने दूसरे राज्यों को भूसा भेजने में पूर्ण या आशिंक-मौखिक प्रतिबंध लगा रखा है। यहां तक की यूपी के मैनपुरी जिले में जिलाधिकारी ने मई के पहले हफ्ते में जिले से बाहर भूसा जाने पर भी प्रतिबंध लगाया है।
आईवीआरआई के क्षेत्रीय केंद्र पालमपुर, के प्रधान वैज्ञानिक डॉ पुतान सिंह कहते हैं, “चारा संकट से निपटने के दो मुख्य उपाय हैं, पहला सरकार भूसे का व्यवसायिक इस्तेमाल पर पूर्ण प्रतिबंध लगाए। भूसे का कागज उद्योग से लेकर ईंट भट्टे तक में इस्तेमाल होता है। उसे रोके जाने की जरुरत है, ये काम सरकार करे।