नए बीज विधेयक का विरोध शुरू, 26 नवंबर को देशव्यापी विरोध प्रदर्शन का ऐलान

केंद्र सरकार का प्रस्तावित बीज विधेयक 2025 किसानों के विरोध का कारण बन गया है. सरकार इसे नकली बीजों पर रोक लगाकर किसानों को किफायती व उच्च गुणवत्ता वाले बीज उपलब्ध कराने के लिए ला रही है. वहीं, किसान संगठन आशंका जता रहे हैं कि इससे बीज महंगे हो सकते हैं. जिसके चलते उन्होंने 26 नवंबर को देशव्यापी विरोध प्रदर्शन का ऐलान किया है.

केंद्र सरकार की तरफ से प्रस्तावित बीज विधेयक 2025 सरकार और किसान संगठनों के बीच टकराव की नई वजह बन गया है. सरकार ने बीज विधेयक 2025 का मसौदा विचार विमर्श के लिए पेश किया था. जिसका किसान संगठनों ने विरोध किया है. इसके साथ ही 26 नवंबर को देशव्यापी विरोध प्रदर्शन का एलान किया है.

सरकार की तरफ से प्रस्तावित बीज विधेयक को लेकर विपक्षी दल भी संतुष्ट नहीं है. हालांकि विरोध करने के पहले विपक्षी दल और उन की राज्य सरकारें बिल के प्रावधानों की बारीकी से समीक्षा कर रही है.

सरकार का कहना है कि इस बिल से किसानों को किफायती दरों पर उच्च क्वालिटी के बीज मिलेंगे. इसके साथ ही नकली और खराब क्वालिटी वाले बीजों की बिक्री पर रोक लगेगी, जिसका फायदा किसानों को मिलेगा. ये प्रस्तावित कानून मौजूदा बीज अधिनियम, 1966 और बीज (नियंत्रण) आदेश 1983 की जगह लेगा. सरकार 1 दिसंबर से शुरू हो रहे संसद के शीतकालीन सत्र में इस बिल को पेश करना चाहती है.

गैर जमानती जेल जाने का डर बीज उत्पादक कंपनी को
बीज उत्पादन कंपनी का कहना है कि, इस कानून के कारण सीड रिप्लेसमेंट गिर जाएगा। देशभर में बीज की किल्लत हो जाएगी ,कई बीज उत्पादन छोटी-छोटी कंपनियां अपना उत्पादन बंद कर देगी। क्योंकि कभी भी बीज नकली नहीं होता है उसमें कोई मिलावट नहीं होती है | इससे इंस्पेक्टर राज को बढ़ावा मिलेगा। जेल में डालने का डर दिखाकर रिश्वतखोरी बढ़ेगी।
कई किसान संगठन बीच उत्पादक सरकारी संस्था के माध्यम से किसानों को बीज उपलब्ध कराते हैं उनको भी जेल जाने का डर बना रहेगा। क्योंकि बीज का अंकुरण एक खेत में अलग दिखता है दूसरे खेत में अलग दिखता है। यहां तक की अंकुरण की क्षमताएं कई मौसम के प्रभाव में कभी-कभी बदल जाती है । ऐसी शिकायत का ढेर लगने के कारण कई कंपनियां अपना बीज उत्पादन का काम बंद कर सकती है। बीच विश्लेषण करने पर पाया जाता है कि एक ही लॉट में कभी जर्मिनेशन अलग-अलग परिणाम देते हैं इस प्रकार का काला कानून देश में बीज संकट को खड़ा कर सकता है।

नकली बीज और कीटनाशक बेचने वालों पर होगी कार्रवाई

सरकार बीज विधेयक के साथ-साथ कीटनाशक को लेकर भी आगामी संसद सत्र में बिल लाने की तैयारी में जुटी है, जिससे कि अगर कोई डीलर नकली बीज बेचता है या कीटनाशक बेचता है तो उसको खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जा सके. बीज विधेयक के मसौदे में ये भी प्रावधान किया गया है कि किसानों की बीज से जुडी शिकायतों के समाधान और निपटारे के लिए एक नया सिस्टम बनाया जाए. जिससे किसानों को समय पर मुआवज़ा मिल सके और जवाबदेही भी तय की जा सके.

सरकारी बीज उत्पादक कंपनियां राष्ट्रीय बीज निगम ,राज्य बीज निगम ,महाबीज जैसे सरकारी कंपनियां पर भी यह काला कड़ा कानून लागू होगा इस पर प्रश्न चिन्ह है ?
कॉर्पोरेट के हाथों में सरकार
कई किसान संगठन बता रहे हैं कि सरकार कुछ कॉर्पोरेट के लिए या स्वयं कुछ मंत्री अपने हित के लिए यह कानून ला रहे हैं। जिससे कि छोटे छोटे बीज उत्पादक कंपनियां बंद हो जाए। देशभर में केवल कुछ चयनित कंपनियां रह जाएगी और वह ऊंची कीमत पर बीज बेचने का कार्य करेगी

जुर्माने के साथ-साथ सजा का प्रावधान

विधेयक के मसौदे में सजा और जुर्माने का भी प्रावधान किया गया है. सजा को तीन कैटेगरी में बांटा गया है. इसमें 50000 रूपए से लेकर 30 लाख रूपए तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया है. साथ ही दोषी डीलरों का लाइसेंस रद्द करने के साथ साथ तीन साल तक के जेल का प्रावधान भी किया गया है.

बीज महंगा होने का किसानों को सता रहा डर

हालांकि कुछ किसान संगठन इस विधेयक के मसौदे को कारपोरेट के हित में बता रहे है. इसके साथ ही ये भी आशंका जता रहे है कि इससे आने वाले दिनों में बीज महंगे हो सकते हैं. ऐसे में जहां किसान संगठन इस मसौदे को वापिस लेने की मांग कर रहे हैं तो वही नज़रें विप़क्ष और विपक्ष शासित राज्य सरकारों के रूख पर भी है. ये विधेयक आगामी संसद सत्र में किसान हितों के नाम पर सरकार और विपक्ष में जोर-आज़माइश की एक वजह बन सकता है.

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