राजस्थान में लम्पी बीमारी के प्रकोप से दहशत में पशुपालक

केवल जोधपुर संभाग में लम्पी बीमारी से 749 पशुओं की मौत हो चुकी है
राजस्थान के कई इलाकों में पशु लम्पी बीमारी का शिकार हो रहे हैं।
राजस्थान के जोधपुर के पल्ली गांव में पिछले एक महीने में लम्पी बीमारी से 50 से अधिक गाय की मौत हो चुकी है। पशुओं में फैली इस बीमारी ने पशुपालकों को चिंता में डाल दिया है। पल्ली गांव निवासी शारदा देवी कहती हैं कि उनके पास दो विदेशी नस्ल की गाय थीं जो करीब 50 लीटर दूध देती थीं। शारदा देवी बताती हैं कि करीब 15-20 दिन पहले उनकी एक गाय बीमार पड़ी।
डॉक्टर ने बताया कि गाय को लम्पी बीमारी है। इलाज शुरू किया लेकिन गाय नहीं बची। इस दौरान दूसरी गाय भी संक्रमित हो गई। दोनों गाय के इलाज पर करीब 30 हजार रुपए खर्च हो गए हैं।
उनका कहना है कि दूसरी गाय बचेगी या नहीं, पता नहीं। शारदा देवी के पति तीन साल पहले गुजर गए। उनके पांच बच्चे हैं जो जोधपुर में पढ़ते हैं। गाय मरने से उनकी आर्थिक हालत खराब हो चुकी है। उन्हें डर है कि कहीं बच्चों की पढ़ाई न रोकनी पड़े।
इसी गांव की बख्तावरी देवी की 20 गाय थीं। वह रोजाना 80 लीटर दूध बेचती थीं और इससे उन्हें करीब 2,500 रुपए रोजाना आमदनी होती थी। लेकिन अब पूरी आमदनी बंद हो गई है। लंपी की चपेट में आकर उनकी एक गाय की मौत हो गई है, 3 गाय का गर्भपात हो गया और 9 गाय बीमार हैं। बीमार गाय के इलाज में 15,000 रुपए खर्च हो गए हैं।
यह स्थिति पश्चिमी राजस्थान के लाखों पशुपालकों की है। इस संक्रामक बीमारी में पशुओं के शरीर पर गांठे बनने लगती हैं। सिर, गर्दन और जननांगों के पास गांठों का प्रभाव ज्यादा होता है। दो से पांच सेंटीमीटर व्यास वाली गांठें पशुओं के लंबे समय तक अस्वस्थता का कारण बनती हैं। ये गांठें धीरे-धीरे बड़ी होती जाती हैं। पशुओं को तेज बुखार आता है। पशु दूध देना बंद कर देते हैं और चारा-पानी लेना भी बंद कर देते हैं। बीमारी के प्रभाव से पशुओं का गर्भपात हो जाता है। साथ ही कई पशुओं का खुर खराब हो जाता है और वे चल नहीं पाते।
ऐतिहासिक रूप से लम्पी 1929 में अफ्रीका में पाई गई थी। हाल के कुछ वर्षों में यह दुनिया के कई हिस्सों में फैल गई। 2015 में इस बीमारी ने तुर्की और ग्रीस, 2016 में रूस में पशुपालकों का बहुत नुकसान किया था। भारत में इस बीमारी को सबसे पहले 2019 में रिपोर्ट किया गया था।