
Harit @malav -केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय ने 17 दिसंबर, 2021 को ‘कृषि में स्ट्रेप्टोमाइसिन + टेट्रासाइक्लिन का का उपयोग रोकने का अधिसूचित किया, जो 1 फरवरी, 2022 से कृषि में उपयोग के लिए स्ट्रेप्टोमाइसिन और टेट्रासाइक्लिन के आयात, निर्माण या निर्माण पर रोक लगाता है।
मसौदा आदेश आधिकारिक राजपत्र में इसके अंतिम प्रकाशन की तारीख से लागू होगा।
मसौदा आदेश विभिन्न फसलों में विशेष रूप से स्ट्रेप्टोमाइसिन के लिए रोगाणुरोधी प्रतिरोध पर बढ़ती चिंताओं को लेकर आता है, जिसका उपयोग तपेदिक (टीबी) के उपचार में किया जाता है। टेट्रासाइक्लिन एंटीबायोटिक्स जीवाणु संक्रमण के उपचार में आवेदन पाते हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, स्ट्रेप्टोमाइसिन एक गंभीर रूप से महत्वपूर्ण रोगाणुरोधी है जबकि टेट्रासाइक्लिन अत्यधिक महत्वपूर्ण रोगाणुरोधी के वर्ग से संबंधित है।आदेश 1 जनवरी, 2024 से कृषि में दो एंटीबायोटिक दवाओं के उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध सुनिश्चित करता है। इसने प्रत्येक राज्य सरकार को अपने राज्य में आदेश को क्रियान्वित करने के लिए आवश्यक सभी कदम उठाने का निर्देश दिया।
यह पाया गया कि वहां के किसानों ने नियमित रूप से और अंधाधुंध रूप से फसलों पर स्ट्रेप्टोमाइसिन की उच्च खुराक का इस्तेमाल किया, जिसमें वे भी शामिल थे जिनके लिए उन्हें कोई मंजूरी नहीं मिली थी।
सीएसई ने सिफारिश की थी कि इन एंटीबायोटिक दवाओं को कीटनाशकों के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए, और यह कि फसल में जीवाणु रोग का निदान होने के बाद ही विशेषज्ञ पर्यवेक्षण के तहत उनका उपयोग किया जाना | कितनी मात्रा में इस एंटीबायोटिक युक्त कीटनाशक का इस्तेमाल करना है यह अभी तय नहीं है। वहीं, ज्यादातर किसान इस डर में अधिक छिड़काव कर देते हैं कि ज्यादा कीटनशाक से उनके पौधे या फसल संक्रमण से लड़ने के लिए ज्यादा ताकतवर हो जाएंगे। जबकि इसका दुष्परिणाम यह होता है कि वह कीटनाशक यानी एंटीबायोटिक पौधों या फसलों के जरिए अनाज में बदलकर हमारी थाली में पहुंचता है। हम भोजन में पोषण के साथ एंटीबायोटिक की थोड़ी-थोड़ी मात्रा भी ले रहे होते हैं। यह एंटीबायोटिक अनजाने में ही हमारे शरीर में पहुंच कर एंटीबयोटिक रजिस्टेंस कर रहा है।
इसमें कहा गया है कि अन्य सभी एंटीबायोटिक दवाओं को चरणबद्ध तरीके से समाप्त किया जाना चाहिए। तब से सीएसई लगातार विभिन्न प्लेटफॉर्म पर इस मुद्दे की पैरवी कर रहा है
मसौदा आदेश केंद्रीय कीटनाशक बोर्ड और पंजीकरण समिति (CIBRC) के भीतर विचार-विमर्श का नतीजा है, जहां अगस्त 2021 में पंजीकरण समिति (RC) ने रोगाणुरोधी प्रतिरोध पर बढ़ती चिंताओं के बीच स्ट्रेप्टोमाइसिन और टेट्रासाइक्लिन के उपयोग को चरणबद्ध रूप से समाप्त करने की सिफारिश को मंजूरी दी थी।
2019 में दिल्ली स्थित गैर-लाभकारी विज्ञान और पर्यावरण केंद्र ने भारत में फसल क्षेत्र में एंटीबायोटिक के दुरुपयोग की प्रथाओं पर प्रकाश डाला। इसमें दिखाया गया है कि राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली, हिसार (हरियाणा) और फाजिल्का (पंजाब) में यमुना के किनारे स्ट्रेप्टोसाइक्लिन (स्ट्रेप्टोमाइसिन और टेट्रासाइक्लिन के 90:10 संयोजन) का कैसे दुरुपयोग किया जा रहा है।