
Harit @malav -भारतीय किसानों के सामने आने वाली कई समस्याओं में से फसलों में बीमारियों की समस्या ने कृषक समुदाय को बड़ा नुकसान पहुंचाया है। एक अनुमान के अनुसार, कीटों और बीमारियों के कारण भारतीय किसानों को सालाना रु 90,000 करोड़ का नुकसान होता है। , जो खेत में खड़ी फसलों को नष्ट कर देते हैं। चंडीगढ़ विश्वविद्यालय भारतीय किसानों को बीमारियों के कारण बढ़ती फसल हानि की समस्या से बचाने के लिए आगे आया है। चंडीगढ़ विश्वविद्यालय के अनुसंधान एवं विकास विभाग ने एक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित मोबाइल एप्लिकेशन विकसित किया है जो कृषि चक्र के प्रारंभिक चरण में फसल रोगों का पता लगाएगा। इससे किसानों को स्वस्थ फसलों में बीमारी फैलने से पहले व्यवस्था करने में मदद मिलेगी। सीड, एनसीएसटीसी डिवीजन, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, नई दिल्ली के वैज्ञानिक एफ, डॉ रश्मी सिंह ने डीन रिसर्च, चंडीगढ़ विश्वविद्यालय प्रो संजीत सिंह के साथ मोबाइल ऐप लॉन्च किया।
चंडीगढ़ विश्वविद्यालय के आविष्कारक और परियोजना वैज्ञानिक अमित वर्मा ने मोबाइल ऐप के बारे में जानकारी देते हुए कहा, “आलू में कटे हुए कीड़े, आलू कंद कीट जैसे रोग आम हैं। टमाटर में जल्दी और देर से तुषार फसल को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचाते हैं। इससे उबरने के लिए इन और कई अन्य बीमारियों के लिए, इस डिटेक्टिंग एप्लिकेशन का उपयोग कृषि उत्पादन बढ़ाने के लिए इन फसलों में बीमारी की पहचान और पता लगाने के लिए किया जा सकता है।” अमित वर्मा ने बताया कि मोबाइल एप्लिकेशन तीन चरणों में बीमारी का पता लगाने पर काम करता है जो इमेज प्रोसेसिंग पर आधारित है जो फसल की वर्तमान तस्वीर को रोग संक्रमित फसल से मिलाता है। पैटर्न मिलान तकनीक का उपयोग करते हुए ऐप पत्तियों, तनों या शाखाओं में किसी भी महत्वपूर्ण बदलाव का संकेत देता है। इसके अलावा, मोबाइल ऐप कीटों और कीड़ों द्वारा क्षतिग्रस्त फसल के चरण के आधार पर बीमारी के इलाज के लिए सुझाव देता है। ऐप दो फसलों में 39 बीमारियों का पता लगाने में सक्षम होगा, जबकि 19 और फसलों का पता लगाने के लिए अध्ययन अभी प्रक्रियाधीन है।